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________________ 430... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन इस प्रकार कुंआ, तालाब, नहर, झरणा, नदी, विवरिका आदि कोई भी जलाशय की प्रतिष्ठा उक्त विधि से ही करें।68 ॥इति जलाशय प्रतिष्ठा विधि ।। लवणोत्तारण, जल प्रक्षेपण एवं आरात्रिक विधि प्रतिष्ठा, वर्षगांठ, छ:री संघ यात्रा, स्नात्र पूजा, शाश्वत अट्ठाई, दीपावली आदि विशिष्ट अवसरों पर मूलनायक भगवान का लवणोत्तारण अवश्य करना चाहिए। उसकी विधि निम्न है सर्वप्रथम अरिहन्त परमात्मा के सम्मुख आरती और मंगल दीपक प्रगटाएँ। उनके समीप एक अग्नि पात्र रखें, जिसमें नमक और जल डाला जाता है। लवण के छोटे टुकड़ें, पुष्प और जल युक्तं कलश भी तैयार रखें। आरती और मंगल दीपक उतारने से पहले जिनप्रतिमा की पुष्प-चन्दनादि से पूजा करें। पुष्प वृष्टि- निम्न गाथा बोलकर मूलनायक भगवान के आगे पुष्प थाली को तीन बार सृष्टि क्रम (दाहिनी ओर) से घुमाकर उन पर पुष्पों की वृष्टि करें। उवणेउ मंगलं वो, जिणाण मुहलालिजाल संवलिआ । तित्थ पवत्तण समए, तिअसमुक्का कुसुमबुट्टी।।1।। लवणोत्तारण एवं जल धारा दान तदनन्तर एक थाली में नमक के टुकड़े रखकर उयह! पडिभग्गपसरं, पयाहिणं मुणिवइं करेऊणं । पडइ सलोणत्तण, लज्जिअं व लोणं हुअवहमि ।।2।। यह गाथा बोलते हुए जिन प्रतिमाओं के ऊपर प्रदक्षिणावर्त से लवण को तीन बार घुमाकर अग्नि पात्र में डाल दें। फिर प्रदक्षिणावर्त से भरे हुए कलश के द्वारा तीन बार जल की धारा देकर अग्नि पात्र में जल का छींटा डालें। . आरती- तत्पश्चात पूर्व प्रज्वलित आरती को थाली में रखकर एवं उसे हाथ में लेकर निम्न गाथा बोलते हुए प्रदक्षिणावर्त से तीन बार आरती उतारें मरगयमणिघडिय विसाल, थालमाणिक्क मंडिअ पईवं । ण्हवणयर करूक्खित्त, भमउ जिणारत्तिों तुम्ह ।।3।। यदि प्रतिष्ठा का प्रसंग हो तो इसी समय शिखर के ऊपर कलश और ध्वजादण्ड चढ़ाएँ। जिनबिम्ब की स्थापना करने के पश्चात चैत्यवंदन करें,
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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