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________________ 398... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन श्रीमते शान्तिनाथाय, नमः शान्ति विधायिने । त्रैलोक्यस्यामराधीश, मुकुटाभ्यर्चितांघ्रये ।। तत्पश्चात श्रुतदेवी, शान्तिदेवता, शासनदेवता अंबिकादेवी, क्षेत्रदेवता, अधिवासना देवी, समस्त वैयावृत्यकर देवों की आराधना हेतु पूर्ववत एक-एक नमस्कार मन्त्र का कायोत्सर्ग करें और स्तुति बोलें। किन्तु अधिवासना देवी के कायोत्सर्ग में एक लोगस्ससूत्र का चिन्तन कर निम्न स्तुति बोलें पातालमन्तरिक्षं भुवनं, वा या समाश्रिता नित्यम् । साऽत्रावतरतु जैने, ध्वजदण्डे अधिवासना देवी ।। फिर चैत्यवन्दन मुद्रा में शक्रस्तव एवं बृहद् शान्तिस्तव बोलें। • उसके बाद सात प्रकार के धान्य एवं विभिन्न प्रकार के फलों का अर्पण के रूप में दान करें। फिर ध्वज दण्ड को वासक्षेप, पुष्प एवं धूप से वासित करें। ध्वजदण्ड के ऊपर से वस्त्र को उतारें। फिर ध्वजदण्ड पर ध्वजपट्ट को आरोपित करें। उसके पश्चात जिनालय के चारों ओर ध्वजा की तीन प्रदक्षिणा लगवायें। फिर प्रासाद के शिखर पर निम्न श्लोक पूर्वक पुष्पांजलि अर्पण करें कुलधर्मजाति लक्ष्मीजिनगुरु, भक्ति प्रमोदितोन्नमिदे। प्रासादे पुष्पांजलिरय, मस्मत्कर कृतो भूयात् ।। • फिर निम्न छंद बोलते हुए शिखर के कलश को स्नान कराएँ। चैत्याग्रतां प्रपन्नस्य, कलशस्य विशेषतः ।। ध्वजारोप विधौ स्नानं, भूयाद् भक्तजनैः कृतम् ।। • फिर ध्वज के गृह में अर्थात पीठ में पंचरत्न रखें। उसके बाद सर्व ग्रहों की दृष्टि शुभ हो तथा लग्न भी शुभ हो उस समय ध्वजा स्थापना करें। फिर आचार्य 'ॐ श्रीं ठः' इस मन्त्र से ध्वजा पर वासचूर्ण डालें। इस प्रकार ध्वज प्रतिष्ठा की मूलविधि पूर्ण होने पर विभिन्न प्रकार के फल, सात प्रकार के धान्य, बलि, मोदक आदि वस्तुएँ प्रचुर मात्रा में चढ़ाएं। प्रतिमा के दाएं हाथ की तरफ महाध्वज को ऋजुगति से बांधे। आचार्य प्रवचन मुद्रा में धर्मदेशना दें। अष्टाह्निका महोत्सव के दौरान तीसरे-पाँचवें या सातवें ऐसे विषम दिन में परमात्मा की स्नात्र पूजा करके भूतबलि प्रदान करें। फिर चार स्तुतियों से चैत्यवन्दन करें। इसी के साथ पूर्ववत शान्तिनाथ, शान्तिदेवता, श्रुतदेवता, क्षेत्रदेवता, भुवन देवता, शासन देवता एवं समस्त वैयावृत्यकर देवताओं के
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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