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________________ 362... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन • अपने स्थान से पचास योजन की परिधि में रहे हुए आचार्य, उपाध्याय, साधु, साध्वी, श्रावक एवं श्राविका ऐसे चतुर्विध संघ को आमन्त्रित करें। • सूती डोरा एवं सूती वस्त्रों का संग्रह करें तथा कुंवारी कन्याओं द्वारा काते गए सूत को बटकर डोरा बनाएं। • प्रतिष्ठा विधानों को अच्छी तरह से सम्पन्न करने के लिए पवित्र स्थानों जैसे- कुएँ, बावड़ी, तालाब, झरनों, नदियों, छोटी-छोटी नहरों एवं गंगा आदि का जल लाएं। उन जलों से वेदिका की रचना करें। दिक्पालों की स्थापना करें। • पूर्व में बताए गए गुणों से युक्त स्नात्र करने वाले चार पुरुषों को आमन्त्रित करें। • पूर्व निर्दिष्ट गुणों एवं कंकण आदि से युक्त चार नारियों के द्वारा मंगल गान पूर्वक पंचरत्न, कषाय मृत्तिका, मांगल्य मूलिका, अष्टक वर्ग आदि औषधियों को अनुक्रम से पिसवाएं। • उसके पश्चात स्नात्रकार चारों दिशाओं में अर्पण के रुप में बाकुले एवं पूए आदि प्रदान करें। फिर प्रतिष्ठित जिनबिम्ब का अभिषेक करें। प्रतिष्ठा के आवश्यक चरण चैत्यवन्दन- जिनबिम्बों की प्रतिष्ठा निर्विघ्न हो एतदर्थ आचार्य चतुर्विध संघ के साथ चार स्तुतियों द्वारा चैत्यवन्दन करें। इसी के साथ ही शान्तिनाथ, श्रुतदेवी, अम्बिका देवी, अच्छुप्ता देवी एवं समस्त वैयावृत्यकर देवों की आराधना के लिए एक-एक नमस्कार मन्त्र का कायोत्सर्ग करें और स्तुति बोलें। __सकलीकरण- उसके पश्चात आचार्य भगवन्त स्वयं के सम्पूर्ण देह की रक्षा करते हैं उसकी विधि यह है____ॐ नमो अरिहंताणं हृदयं रक्ष रक्ष, ॐ नमो सिद्धाणं ललाटं रक्ष रक्ष, ॐ नमो आयरियाणं शिखां रक्ष रक्ष, ॐ नमो उवज्झायाणं कवचं सर्व शरीरं रक्ष रक्ष, ॐ नमो सव्व साहूणं अस्त्रम्। इस प्रकार सभी जगह तीनतीन बार इस मन्त्र का न्यास करें। शुचिविद्या आरोपण- तत्पश्चात आचार्य तीन, पाँच या सात बार निम्न मंत्र का मनस् जाप करें ॐ नमो अरिहंताणं, ॐ नमो सिद्धाणं, ॐ नमो आयरियाणं ॐ नमो उवज्झायाणं, ॐ नमो लोए सव्वसाहूणं, ॐ नमो आगासगामीणं, ॐ हः क्षः नमः।
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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