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________________ प्रतिष्ठा उपयोगी विधियों का प्रचलित स्वरूप ...359 उसके पश्चात पूर्व स्थापित कुंभ को रेशमी वस्त्र से ढ़ककर उसके ऊपर स्वर्ण पत्तों से जड़ित श्रीफल रखें। फिर उसे सुहागिन नारियाँ मस्तक पर रखकर आगे चलें। गृह मालिक श्वास रोकते हुए स्थाप्यमान प्रतिमा को अर्पित करें और 'मनोरथ पूर्ण हो' ऐसा आशीष दें। विनंति- तदनन्तर मुख्य श्रावक जिनबिम्ब के समीप जाकर 'स्वामी पधारिए, स्वामी पधारिए, हम शक्ति अनुसार भक्ति करेंगे, श्री संघ के ऊपर कृपा करिए' इस भाव से प्रभु को हाथ जोड़कर विनंति करें। नूतन मंदिर तरफ प्रयाण- फिर जिस प्रतिमा को लेकर आए थे उसे स्थाप्यमान प्रतिमा के निकट रखते हुए तथा गाजते-बाजते एवं बलि बाकुला उछालते हुए नूतन प्रासाद के समीप आएं। __ • बलि बाकुला उछालते समय दश दिक्पालों को इस रीति से बुलाएं ॐ इन्द्राय सायुधाय सवाहनाय सपरिकाय श्रीजिन-बिंब प्रवेश महोत्सवे आगच्छ-आगच्छ स्वाहा।' इसी तरह ॐ अग्नेय, ॐ यमाय, ॐ निऋतये, ॐ वरुणाय, ॐ वायवे, ॐ कुबेराय, ॐ ईशानाय, ॐ नागाय, ॐ ब्रह्मणे आगच्छ-आगच्छ स्वाहा। इस तरह सभी को बुलाएं और बाकुला प्रदान करें। अन्त में 'ॐ समस्तक्षेत्र देवी देवेभ्यः सायुधेभ्यः सवाहनेभ्यः सपरिकरेभ्यः श्री जिनबिम्ब प्रवेश महोत्सव विधौ आगच्छन्तु2 स्वाहा' ऐसा बोलकर कोरी बलि उछालें। • जिनालय नजदीक आने पर सधवा स्त्रियाँ पूर्ण कलश भरकर सामने आएं, कोई प्रधान पुरुष कुंकुम के छीटें डालें और द्वार पर तोरण बांधे। यदि मुहूर्त आने में समय हो तो जिन मन्दिर के द्वार के समीप लकड़ी के बाजोट एवं उस पर लाल वस्त्र बिछाकर प्रभु को विराजमान करें। फिर सौभाग्यवती नारियाँ पौंखणा करें। उचित व्यवहार- श्रीसंघ के अग्रगण्य श्रावक प्रतिमा स्थापना का लाभ लेने वाले भाग्यशाली से विनंति करें___'नूतन जिनमंदिर में प्रभु को मंगल मुहूर्त में प्रवेश करवाओ' ऐसा कह तिलक द्वारा उसका बहुमान करें। प्रवेश करवाने वाला भाग्यशाली श्रीसंघ के ट्रस्टिओं से कहें- 'आप सकल संघ ने जिन बिम्ब के प्रवेश महोत्सव का लाभ प्रदान किया उसके लिए बहुत-बहुत आभारी हूँ' फिर संघ प्रमुख व्यक्तियों का तिलक से बहुमान करें।
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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