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________________ प्रतिष्ठा उपयोगी विधियों का प्रचलित स्वरूप ...331 अभिषेक में उपयोगी कलश, जल, गन्ध, पुष्प, धूपादि को अभिमन्त्रित करने की विधि __ तत्पश्चात प्रतिष्ठाचार्य अभिषेक में उपयोगी कलश आदि सामग्री को अभिमन्त्रित करें। कलश अभिमन्त्रण- सर्वप्रथम जिन मुद्रा दिखाकर कलशों को मन्त्रित करें। जल अभिमन्त्रण मन्त्र- फिर निम्न मन्त्र से जल को अधिवासित करें। __ "ॐ नमो यः सर्वशरीरावस्थिते महाभूते आगच्छ-आगच्छ जलं गृहाणं-गृहाणं स्वाहा।" गन्य अभिमन्त्रण मन्त्र- उसके बाद सर्व औषधियाँ एवं चंदन आदि को निम्न मन्त्र से अभिमंत्रित करें "ॐ नमो यः सर्वशरीरावस्थिते महाभूते आगच्छ-आगच्छ सर्वोषधि चंदन समारंभनं गृहाण-गृहाण स्वाहा।" ___ पुष्प अभिमन्त्रण मन्त्र- तत्पश्चात पुष्प को निम्न मंत्र से अभिमन्त्रित करें "ॐ नमो यः सर्वशरीरावस्थिते महाभूते आगच्छ-आगच्छ सर्वतो मेदिनी पुष्पं गृह्ण-गृह्ण स्वाहा।" धूप अभिमन्त्रण मन्त्र- फिर निम्न मंत्र से धप को अधिवासित करें "ॐ नमो यः बलिं दह-दह महाभूते तेजोधिपते धुधु धूपं गृह्णगृह्ण स्वाहा।" तत्पश्चात इन्हीं मन्त्रों के द्वारा जिन बिम्बों की क्रमश: जल पूजा, सर्व औषधि पूजा, चंदन पूजा, पुष्प पूजा एवं धूप से पूजा करें। . पंचरत्न रक्षा पोटली बंधन- फिर निम्न छंद बोलकर जिन बिम्ब के दाहिने हाथ की अंगुली में पंचरत्न की पोटली बांधे। अठारह अभिषेक की मूल विधि पूर्व वर्णित औषधि चूर्ण पिसवाना, भूतबलि का प्रक्षेपण करना, जिन बिम्बों की पूजा करना, आचार्य एवं स्नात्रकारों की देह रक्षा करना, सप्त धान्य की वृष्टि करना, अभिषेक में उपयोगी पुष्पादि को अधिवासित करना, बिम्ब के हाथ में पंचरत्न बांधना आदि कृत्य सम्पन्न करने के पश्चात अठारह अभिषेक की क्रिया प्रारम्भ करनी चाहिए।
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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