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________________ 324... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन बनवाने का कार्य प्रारम्भ करें। • सर्वप्रथम मंडप योग्य भूमि पर पत्थर, कंकर, कचरा आदि हो तो उसे दूर करें। उसके बाद मण्डप निर्माण का कार्य शुरू करवायें। • मंडप के अन्तर्गत जहाँ वेदिका बनवानी हो वहाँ एक हाथ गड्ढा खोदकर उस धूल को बाहर डलवायें और उस जगह जंगल की शुद्ध पीली मिट्टी अथवा नदी की रेती भरें, फिर वेदिका बनवायें। • जघन्यतः प्रतिष्ठा मण्डप के मध्य भाग से चारों ओर 100 हाथ पर्यन्त क्षेत्र शुद्धि करें, वहाँ सुगन्धित जल का छिड़काव करें, पुष्प बिखेरें और धूप प्रगटाएँ। इस प्रकार मण्डप भूमि का सत्कार करें। • प्रतिष्ठा मंडप की रचना समचौरस और चतुर्मुख (चार द्वारों से युक्त) हो। • मंडप की लम्बाई और चौड़ाई प्रतिष्ठाप्य प्रतिमा के माप के आधार पर निश्चित करें। मण्डप की ऊँचाई भी प्रतिष्ठाप्य प्रतिमा की ऊँचाई के अनुसार ही निर्धारित करें। • प्रतिष्ठा योग्य नवीन बिम्बों की ऊँचाई यदि 1-2 या 3 हाथ हो तो उसके लिए प्रतिष्ठा मंडप अनुक्रम से 8-9-10 हाथ लंबा-चौड़ा होना चाहिए। यदि नूतन प्रतिमाएँ 4-5-6-7-8 अथवा 9 हाथ ऊँची हो तो उनके लिए प्रतिष्ठा मंडप अनुक्रम से 12-14-16-18-20-22 हाथ लम्बा-चौड़ा होना चाहिए। द्वितीय मत के अनुसार नूतन प्रतिमाएँ 1-2-3-4-5-6-7-8-9 हाथ की हो तो प्रतिष्ठा मंडप क्रमश: 12-14-16-18-20-22-24-26-28 हाथ के अनुरूप होना चाहिए। प्रतिष्ठाप्य प्रतिमा 9 हाथ से ऊँची नहीं होती है इसलिए प्रतिष्ठा मंडप 28 हाथ से अधिक लम्बा-चौड़ा नहीं होना चाहिए। मण्डप का उक्त परिमाण एक प्रतिमा की अपेक्षा कहा गया है। यदि प्रतिमाएँ अधिक संख्या में हों तो उसके लिए प्रतिष्ठाचार्य अथवा विधिकारक के मार्गदर्शन के अनुसार प्रतिष्ठा मंडप बनवायें। • स्नान मंडप की लम्बाई-चौड़ाई प्रतिष्ठा मंडप से आधी होनी चाहिए। मंडप के तोरण (प्रवेश द्वार) की ऊँचाई का परिमाण • मण्डप में स्थापित होने वाली प्रतिमा 1-2 या 3 हाथ की हो और मण्डप उसके अनुरूप निर्मित हो तो उसके तोरण अनुक्रम से 5-6 या 7 हाथ ऊँचे होने चाहिए, यदि प्रतिमा 4-5-6 में से किसी भी माप की हो तो तोरण 7
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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