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________________ प्रतिष्ठा उपयोगी विधियों का प्रचलित स्वरूप... 311 हरिणो वायव्यधिपतिर्मरूत् । वाहनं यस्य, संघस्य शान्तये सोऽस्तु, बलि पूजां प्रतीच्छतु ।। 7. कुबेर पूजा सर्वप्रथम उत्तर दिशा के अधिपति कुबेर को पुष्प एवं सुगन्धित अक्षत चढ़ाते हुए बधायें— ॐ ब्लोँ हाँ कुबेर संवौषट् (स्वाहा ) तत्पश्चात चंदन एवं बरास से कुबेर देव का आलेखन करें। फिर निम्न मंत्र से कुबेर देव का आह्वान करें ॐ नमो धनदाय उत्तरदिगधिष्ठायकाय गदाहस्ताय नरवाहनाय सपरिजनाय जिनबिम्ब प्रतिष्ठा महोत्सवे आगच्छ-आगच्छ स्वाहा । फिर निम्न मंत्र से कुबेर देव की स्थापना करें - अत्र तिष्ठ तिष्ठ स्वाहा फिर निम्न मंत्रों से कुबेर की अष्ट प्रकारी पूजा करें 1. चन्दनं समर्पयामि स्वाहा - चंदन एवं बरास से पूजा करें। 2. पुष्पं समर्पयामि स्वाहा - जाई एवं सेवत्रा के पुष्प चढ़ायें । 3. वस्त्रं समर्पयामि स्वाहा - श्वेत वस्त्र चढ़ायें। 4. फलं समर्पयामि स्वाहा - बीजोरे का फल चढ़ायें। 5. धूपमाघ्रापयामि स्वाहा - धूप दिखायें । 6. दीपं दर्शयामि स्वाहा - दीपक दिखायें। 7. नैवेद्यं समर्पयामि स्वाहा - चावल के आटे के लड्डू चढ़ायें। 8. अक्षतं ताम्बूलं द्रव्यं सर्वोपचारान् समर्पयामि स्वाहा -पान, अक्षत, सुपारी और पैसा आदि चढ़ायें। फिर स्फटिक की माला से 108 बार निम्न मंत्र का जाप करें ॐ धनदाय नमः फिर तीन बार निम्न मंत्र कहते हुए कुबेर देव को तीन बार अर्घ्य देंॐ ब्लोँ हीँ कुबेर संवौषट् (स्वाहा ) फिर दोनों हाथ जोड़कर प्रार्थना करें निधान नवकारूढ, उत्तरस्यां दिशि प्रभुः । संघस्य शान्तये सोऽस्तु, बलि पूजां प्रतीच्छतु ।।
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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