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________________ प्रतिष्ठा उपयोगी विधियों का प्रचलित स्वरूप...305 महाराज के सामने रखें। गुरु निम्न मंत्र को 21 बार बोलते हुए वासचूर्ण के द्वारा बाकुला को अभिमंत्रित करें। बाकुलाभिमंत्रण मंत्र ॐ ह्रीं क्ष्वीं सर्वोपद्रवान् बलिं रक्ष रक्ष स्वाहा । 3. तदनन्तर विधिकारक जल का कलश, केसर, पुष्प, कुसुमांजलि, सुपारी, धूप, दीप, थाली-बेलण आदि सामग्री को लेकर जिनालय के सन्मुख अथवा दाहिनी तरफ जायें। वहाँ निम्न मन्त्र बोलते हुए दसों दिशाओं में बाकुला प्रदान करें पूर्व दिशा में ॐ नमो इन्द्राय स्वाहा, आग्नेय कोण में ॐ नमोऽग्नये स्वाहा, दक्षिण दिशा में ॐ नमो यमाय स्वाहा नैर्ऋत्य कोण में ॐ नमो नैऋत्य स्वाहा, पश्चिम दिशा में ॐ नमो वरुणाय स्वाहा, वायव्य कोण में ॐ नमो वायवे स्वाहा, उत्तर दिशा में ॐ नमो कुबेराय स्वाहा, ईशान कोण में ॐ नमो ईशानाय स्वाहा, ऊर्ध्व दिशा में ॐ नमो ब्रह्मणे स्वाहा, अधो कोण में ॐ नमो नागाय स्वाहा । तदनन्तर निम्न क्रम से दिक्पाल देवों की पूजा करें 1. इन्द्र पूजा एक निपुण श्रावक सर्व सामग्री एकत्रित कर दिक्पाल पट्ट के समीप पवित्र चौकी पर बैठ जायें। फिर पूजा प्रारंभ करें। सर्वप्रथम नवग्रह की भाँति निम्न मंत्र बोलकर पूर्व दिशा के अधिपति इन्द्र को अक्षत एवं पुष्प चढ़ाते हुए बधायें - ॐ ह्रीँ आँहाँ हूँ हाँ यूँ हूँ क्षः वज्राधिपतये इन्द्र संवौषट् (स्वाहा ) । तत्पश्चात श्वेत चंदन से इन्द्र का आलेखन करें। फिर निम्न मंत्र से इन्द्र का आह्वान करें ॐ नमो इन्द्राय पूर्व दिगधिष्ठायकाय ऐरावणवाहनाय वज्रायुधाय सपरिजनाय अस्मिन् जम्बूद्वीपे दक्षिणार्ध भरते मध्यखण्डे अमुक देशे अमुक नगरे जिनबिम्ब प्रतिष्ठामहोत्सवे आगच्छ-आगच्छ स्वाहा । फिर निम्न मंत्र से इन्द्र देव की स्थापना करें। 'अत्र तिष्ठ तिष्ठ स्वाहा' फिर निम्न मंत्रों से इन्द्र देव की अष्ट प्रकारी पूजा करें।
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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