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________________ प्रतिष्ठा उपयोगी विधियों का प्रचलित स्वरूप ...303 'अत्र तिष्ठ तिष्ठ स्वाहा' फिर निम्न मंत्र से ग्रह की अष्टप्रकारी पूजा करें। 1. ॐ नमः राहवे सवाहनाय सपरिकराय सायुधाय चन्दनं समर्पयामि स्वाहा -कंकुसे पूजा करें। 2. पुष्पं समर्पयामि स्वाहा -मचकुंद के पुष्प चढ़ायें। 3. वस्त्रं समर्पयामि स्वाहा -काला वस्त्र चढ़ायें। 4. फलं समर्पयामि स्वाहा -श्रीफल चढ़ायें। 5. धूप माघ्रापयामि स्वाहा -धूप दिखायें। 6. दीपं दर्शयामि स्वाहा -दीपक दिखायें। 7. नैवेद्यं समर्पयामि स्वाहा -उड़द की दाल के लड्डू अथवा तिल के लड्डू - चढ़ायें। 8. अक्षतं ताम्बूलं द्रव्यं सर्वोपचारान् समर्पयामि स्वाहा। -पान, अक्षत, ___ सुपारी, पैसे आदि चढ़ायें। फिर अकलबेर की माला से 108 बार निम्न मंत्र का जाप करें। ॐ राहवे नमः फिर निम्न मंत्र को तीन बार कहते हुए तीन बार राहु ग्रह को अर्घ्य दें। ॐ ह्रीं ठौं श्री व्रः वः वः पिंगलनेत्राय कृष्णरूपाय राहवे नमः स्वाहा। फिर अन्त में दोनों हाथ जोड़कर प्रार्थना करें श्री नेमिनाथतीर्थेश, नाम्ना त्वं सिंहिकासुत । प्रसन्नो भव शान्तिं च, रक्षां कुरु जय श्रियम् ।। 9. केतु पूजन - सर्वप्रथम निम्न मंत्र बोलकर अक्षत एवं सुगन्धित पुष्प से केतु ग्रह को बधायें। ॐ काँ की कैंट:ट:टः छत्र रूपाय राहुतनवे केतवे नमः स्वाहा। उसके बाद यक्ष कर्दम से केतु का आलेखन करें। फिर निम्न मंत्र से केतु का आह्वान करें। ॐ नमः केतवे सवाहनाय सपरिकराय सायुधाय अमुकगृहे वृद्ध स्नात्र महोत्सवे आगच्छ-आगच्छ स्वाहा।
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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