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________________ 292... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन कुंभ स्थापना की जगह प्रतिष्ठा न होने तक तीनों सन्ध्याओं में सप्त स्मरण का पाठ करें। ___आचार्य जिनप्रभसूरि ने 'शान्तिपर्वविधि' में कुंभ स्थापना विधि लिखी है वह प्राचीन है। वही विधि किंचिद् अन्तर के साथ वर्तमान में प्रवर्तित है। ॥ इति कुंभ स्थापना विधि ।। दीपक स्थापना विधि अर्वाचीन प्रतियों के अनुसार दीपक स्थापना की विधि निम्न प्रकार है • कुंभ स्थापना के तुरन्त पश्चात दीपक स्थापना की जाती है। सर्वप्रथम तांबे के दीपक को अच्छी तरह धोयें। फिर कंकु से पूजा करके उसे कुसुमांजलि और अक्षत से बधायें। • फिर उस दीपक में सुपारी, चाँदी का सिक्का और पंचरत्न की पोटली रखें। • फिर दीपक में मींढल एवं मरडासिंगी बांधकर 108 अथवा 27 तार की बत्ती रखें। • तत्पश्चात निम्न मंत्र तीन बार कहते हुए सौभाग्यवती स्त्री के द्वारा दीपक में गाय का घी भरवायें। ॐ घृतमायुर्वृद्धिकरं, भवति परं जैन दृष्टि संपर्कात् । तत्संयुतःप्रदीपः, पातु सदा भाव दुःखेभ्यः ।। • तत्पश्चात निम्न मंत्र को तीन बार कहते हुए दीपक प्रज्वलित करवायें___ॐ अर्ह पञ्चज्ञानमहाज्योति र्मयाय ध्वान्त घातिने । द्योतनाय प्रतिमाया, दीपो भूयात् सदाऽहते ।। • उसके बाद सधवा स्त्री दीपक लेकर जिन प्रतिमा की तीन प्रदक्षिणा दें। फिर कुंभ की दाहिनी तरफ जहाँ दीपक की स्थापना करनी हो वहाँ कंकु का स्वस्तिक करें और उसके ऊपर गीली मिट्टी पथारकर दीपक की स्थापना करें। • उसके पश्चात गुरु भगवन्त हो तो निम्न मंत्र तीन बार बोलते हुए उनसे वासचूर्ण डलवायें, अन्यथा विधिकारक या श्रावक वासचूर्ण डालें ॐ अग्नयोऽग्निकाया एकेन्द्रिया जीवा निरवद्या अर्हत्पूजायाम् निर्व्यथाः सन्तु, निष्पापाः सन्तु, सद्गतयः सन्तु न मे संघट्टनहिंसाऽहंदर्चने । • फिर कुंभ और दीपक के आगे आरती एवं मंगल दीपक करें। ॥ इति दीपक स्थापना विधि ।।
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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