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________________ 286... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन इन मन्त्रों को पढ़ते हुए पूर्ववत भद्राशिला को नैर्ऋत्य कोण में स्थापित कर निम्न षट्पदी से प्रार्थना करें। भद्रे ! त्वं सर्वदा भद्रं, लोकानां कुरु काश्यपि । आयुदा कामदा देवि ! सुखदा च सदा भव ।। त्वामत्र स्थापयाम्यद्य, गृहेऽस्मिन् भद्रदायिनी । 3. जया शिला - इस शिला की स्थापना करते समय ( 1 ) 'ॐ आधारशिले! सुप्रतिष्ठिता भव' (2) 'ॐ शंख! इहागच्छ, इहतिष्ठ, ॐ शंखनिधये नमः' (3) 'ॐ जये! इहाऽऽगच्छ, इह तिष्ठ, ॐ जयायै नमः' इन मन्त्रों को पढ़ते हुए पूर्ववत जया शिला को वायव्य कोण में स्थापित कर निम्न षट्पदी से प्रार्थना करे - । गर्गगोत्र समुद्गतां त्रिनेत्रां च चतुर्भुजाम् । गृहेऽस्मिन् स्थापयाम्यद्य, जयां चारु विलोचनाम् । । नित्यंजयाय भूत्यै च स्वामिनो भव भार्गवि । 4. रिक्ता शिला - इस शिला की स्थापना करते समय (1) 'ॐ आधारशिले! सुप्रतिष्ठिता भव' (2) 'ॐ मकर! इहागच्छ, इह तिष्ठ, ॐ मकर निधये नमः' (3) ॐ रिक्ते! इहागच्छ, इहतिष्ठ, ॐ रिक्तयै नमः 'इन मन्त्रों को पढ़ते हुए पूर्ववत रिक्ता शिला को ईशान कोण में प्रतिष्ठित कर निम्न प्रार्थना करें - रिक्ते! त्वं रिक्त दोषघ्ने ! सिद्धिमुक्तिप्रदे! शुभे । सर्वदा सर्वदोषघ्न ! तिष्ठऽस्मिन् तत्र नंदिनि ।। 5. पूर्णा शिला - इस शिला की स्थापना करते समय ( 1 ) 'ॐ आधारशिला सुप्रतिष्ठिता भव' (2) ॐ सुभद्र! इहागच्छ, इह तिष्ठ, ॐ सुभद्रनिधये नमः' (3) ॐ पूर्णे! इहागच्छ, इह तिष्ठ, ॐ पूर्णायै नमः ' इन मन्त्रों को पढ़ते हुए वास्तु के मध्य भाग में निधि कलश और पूर्ण शिला की स्थापना कर समीप में दीपक रखें। फिर निम्न श्लोकों से प्रार्थना करें पूर्णे! त्वं सर्वदा पूर्णान्, लोकान् संकुरु काश्यपि । आयुर्दा कामदा देवि ! धनदा सुतदा भव । । गृहधारा वास्तुमयी, वास्तुदीपेन त्वामृते नास्ति जगता - माधारश्च जगत्प्रिये ।। संयुता ।
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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