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________________ जिनमन्दिर निर्माण की शास्त्रोक्त विधि ...165 2. (क) द्वात्रिंशद् द्वात्रिंशिका, 5/3 (ख) षोडशक प्रकरण, 6/4 (ग) पंचाशक प्रकरण, 7/10 3. द्वात्रिंशद् द्वात्रिंशिका, 5/4 4. वही, 5/5 सुगंधा । 5. शस्तौषधिद्रुमलता मधुरा स्निग्धा समान सुषिरा च मही नराणाम् ॥ अप्य ध्वनि श्रमविनोदमुपागतानां । धत्ते श्रियं किमुत शाश्वत मन्दिरेषु ॥ बृहत्संहिता, 52/86 6. दिणतिग वीयप्पसवा, चउरंसाऽवम्मिणी अफुट्टाय । अक्कल्लर भू सुहया, पुव्वेसाणुत्तरं बुवहा ।। 7. देव शिल्प, पृ. 28 8. वही, पृ. 24 9. वास्तुसार प्रकरण, 1/10 10. देव शिल्प, पृ. 29 11. पंचाशक प्रकरण, 7/11-12 12. चडवीसंगुल भूमी खणेवि, पूरिज्ज पुण विसा गत्ता । तेणेव मट्टियाए, हीणाहिय सम फला णेया ॥ (क) (ख) वास्तुसार, 1/9 (क) (ख) 13. अह सा भरिय जलेण व, चरणसयं गच्छमाण जो सुमइ । दुइग अंगुल भूमी, अहम मज्झम उत्तमाजाण ॥ 14. प्रतिष्ठा रत्नाकर, 3/12 15. देव शिल्प, पृ. 30 16. (क) देव शिल्प, पृ. 32-33 (ख) वास्तुसार प्रकरण, 1/11-12 वास्तुसार, 1/3 शिल्प रत्नाकर, 3/85 वास्तुसार, 1/4 शिल्प रत्नाकर, 3/86-87
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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