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________________ 160... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन 6. यदि कौआ मन्दिर में हड्डी-मांस गिराए तो समाज में अमंगल, विवाद एवं ___ मन्दिर में चोरी की संभावना होती है। 7. मन्दिर का कलश अथवा ध्वज यदि अचानक टूटकर गिर जाए तो ___ अनेकों उपद्रव की संभावना रहती है। 8. यदि मन्दिर का मुख्य द्वार अचानक गिर जाये तो यह महान अनिष्ट ___ कारक है इसे संघ प्रमुख व्यक्ति के मरण का संकेत माना गया है। 9. यदि मूर्ति एवं मन्दिर में से अकस्मात जलधारा बहती हुई दिखाई दे तो __इसे राष्ट्र विप्लव का सूचक कहा गया है।79 10. रूप मंडल के अनुसार यदि ऐसा आभास हो कि देव प्रतिमा नाच रही है, रो रही है, हंस रही है अथवा नेत्रों को खोल-बन्द कर रही है तो समझना चाहिए कि महाभय है। इसे अत्यन्त अशुभ संकेत माना गया है।80 ऊपर वर्णित अशुभ प्रसंगों के उपस्थित होने पर आचार्य आदि विद्वज्ञों से परामर्श कर उसका अविलम्ब परिहार करना चाहिए। जिनालय में संभावित महादोष प्रासाद मंडन एवं शिल्प रत्नाकर के अनुसार यदि मन्दिर में निम्नलिखित सात प्रकार की स्थितियाँ घटित होती है तो उन्हें महादोष के रूप में मानना चाहिए और उनका विधि पूर्वक निराकरण करना आवश्यक है1. मन्दिर के दीवारों से चूना उतर गया हो। 2. मकड़ी के जाले लगे हो। 3. मन्दिर के दीवारों या थंभों पर कीलें लगी हो। 4. मन्दिर के किसी भी भाग में पोलापन हो गया हो। 5. छेद पड़ गये हों। 6. मन्दिर के किसी भाग विशेष में सांध एवं दरारें दिखती हो। 7. मन्दिर को कारागृह में परिवर्तित कर दिया गया हो।81 जिनालय निर्माण में संभावित वास्तु दोष गृह भवनों के समान ही मन्दिरों का निर्माण करते समय भी किसी तरह के वास्तु दोष की संभावना न रह जाये, यह ध्यान रखना आवश्यक है। यदि निर्माण काल के दौरान वास्तु दोष का पता चल जाये तो शिल्पज्ञों से परामर्श कर उसका तत्काल निराकरण कर देना चाहिए। इस विषय में सावधानी न रखने तोर .
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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