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________________ जिनमन्दिर निर्माण की शास्त्रोक्त विधि ...127 देहरी मन्दिर का प्रवेश द्वार चौखट युक्त होना आवश्यक है। चौखट में नीचे की भुजा को उदुम्बर या देहरी कहा जाता है तथा ऊपर की भुजा को उत्तरंग कहते हैं। स्पष्ट है कि प्रवेश (मुख्य) द्वार के नीचे भाग का कुछ उभरा हुआ हिस्सा देहरी कहलाता है। आवास की भाँति मन्दिर में भी दरवाजों की चोखट एवं देहरी का विशिष्ट महत्त्व है। प्रवेश या निर्गमन करते समय देहरी के ऊपर से ही जाया जाता है। दर्शनार्थी मन्दिर में प्रवेश करने से पूर्व देहरी को नमन करते हैं उसके पश्चात भीतर प्रवेश करते हैं। मुख्य पर्व दिनों में कुंकुम आदि द्रव्यों से देहरी की पूजा की जाती है। बिना देहरी के मुख्य द्वार बनाने की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। देहरी का व्यावहारिक मूल्य भी है। जैसे कि रेंगकर चलने वाले प्राणी सर्प, गोह, छिपकली आदि देहरी होने से भीतर प्रवेश करने में समर्थ नहीं होते। देहरी के बिना प्रवेश द्वार अत्यन्त अशुभ माना गया है। वर्तमान में बिना चोखट. अथवा मात्र तीन भुजाओं के फ्रेम में दरवाजा लगाने की परिपाटी शुरू हुई है जो उपयुक्त नहीं है। दरवाजा चौखट युक्त ही श्रेष्ठ होता है। गर्भगृह में भी देहरी युक्त चौखट अवश्य बनवाना चाहिए। देहरी के आगे बनाई जाने वाली अर्धचन्द्राकृति रचना को शंखावर्त कहते हैं। चौखट युक्त देहरी का चित्र - - - -- - - - OOR ICCESS EिCER - - - - - - - --- - - - - - - - - - - . उदुम्बर देहरी . उत्तरंग द्वार शाखा के ऊपर का मथाला (ऊपरी भाग) उत्तरंग कहलाता है। देहरी या उदम्बर नीचे रहता है जबकि उत्तरंग सिर के ऊपर वाले भाग में होता है। प्रासाद मंडन के अनुसार जिनालय के गर्भगृह में जिस भगवान की प्रतिमा
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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