SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 183
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ रंग विज्ञान के अनुसार विविध रंगों का निम्न प्रभाव होता है - रंग प्रभाव श्वेत नीला हरा गुलाबी आसमानी जिनमन्दिर निर्माण की शास्त्रोक्त विधि ... 117 लाल काला चॉकलेटी शांति, सौहार्द्र एवं समन्वय का प्रतीक शुभ फलदाता उत्तम फलदायी श्रेष्ठ फल शान्ति एवं उत्साहवर्धक मध्यम अशुभ एवं शोक कारक उदासीनता और असफलता कारक मन्दिर निर्माण के उपविभागों का परिचय जिन मन्दिर का निर्माण करते समय उसके बाह्य और आभ्यन्तर उपभागों में अन्य कई प्रकार की संरचनाएँ होती हैं जो प्रासाद भूमि की लम्बाई-चौड़ाई के अनुसार प्रमाण युक्त बनाई जाती है। उन संरचनाओं का सामान्य वर्णन इस प्रकार है मानस्तम्भ जिनालय के मुख्य प्रवेश द्वार के बाह्य भाग में एक स्तम्भ की स्थापना की जाती है उसे मान स्तम्भ कहा गया है। यह स्तम्भ मन्दिर के सम्मान का प्रतीक और दर्शकों के अहंकार मर्दन का सूचक है। इस स्तम्भ के ऊपरी भाग में चौमुखी प्रतिमा विराजमान करते हैं जिसका दर्शन करने से मन्दिर में प्रवेश किये बिना भी परम शांति का अनुभव होता है और साक्षात प्रभु दर्शन की भावना तीव्र हो उठती है। जैन शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक अकृत्रिम चैत्यालयों में मानस्तम्भ होता है। वर्तमान निर्मित चैत्यालयों में यह रचना कहीं देखी जाती है तो कहीं नहीं भी । इससे सिद्ध है कि कृत्रिम चैत्यों में मानस्तम्भ का होना अनिवार्य नहीं है। मानस्तम्भ निर्माण के आवश्यक निर्देश 1. देवशिल्प के अनुसार निर्माण करते समय मन्दिर के द्वार के ठीक सामने सम सूत्र में मान स्तम्भ बनायें ।
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy