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________________ जिनपूजा का सैद्धान्तिक स्वरूप एवं उसके प्रकार......17 वस्त्र की अपेक्षा सर्वोपचारी पूजा को स्पष्ट करते हुए षोडशक प्रकरण एवं द्वात्रिंशद् द्वात्रिंशिका में निर्दिष्ट है कि भक्ति युक्त श्रावक को न्यायोपार्जित धन द्वारा विशुद्ध और उज्ज्वल श्वेत अथवा शुभ (लाल-पीला) वस्त्र पहनकर एवं भावों में वृद्धि करते हुए आशंसा रहित होकर पूजा करनी चाहिए।75 यदि वर्तमान परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखते हए सर्वोपचारी पूजा के संदर्भ में चिंतन करें तो दैनिक पूजा विधि में तो इसका पालन नहीं होता परन्तु श्रावकों द्वारा कृत महापूजन आदि का समावेश सर्वोपचारी पूजा में ही होता है, क्योंकि महापूजन आदि में अष्टप्रकारी पूजा के साथ-साथ आभरण आदि भी चढ़ाए जाते हैं। इसी प्रकार स्नात्र पूजा का समावेश भी सर्वोपचारी पूजा में होना चाहिए। सत्रहभेदी पूजा सत्रह प्रकार के भेदों से युक्त जिनपूजा सत्रहभेदी पूजा कहलाती है। यह पूजा आगमोक्त मानी जाती है। यद्यपि राजप्रश्नीय सूत्र आदि आगमों में पूजा के चौदह प्रकार ही वर्णित हैं परन्तु मध्यकाल में यही भेद चौदह से आगे बढ़कर सत्रह हो गए। सर्वोपचारी पूजा का ही विकसित रूप सत्रहभेदी पूजा है। आवश्यक चूर्णि में प्राप्त वर्णन के आधार पर ही विभिन्न सत्रहभेदी पूजाओं की रचना की गई है। इन पूजाओं में कुछ-कुछ भेद भी परिलक्षित होता है। मुख्यरूप से बारहवीं शती में अचलगच्छ की स्थापना के बाद यह पूजा प्रचलन में आई। उपदेशतरंगिणी में सत्रहभेदी पूजा का वर्णन करते हुए स्नपन, विलेपन, चक्षुयुगल (वस्त्रयुगल), वासपूजा, पुष्पारोहण, मालारोहण, वर्णकारोहण (वर्णक-पीठी), चूर्णारोहण, आभरणारोहण, पुष्पगृह, आरती, मंगलदीपक, दीपक, धूपोत्क्षेप, नैवेद्य, श्रेष्ठफल, गीत, नृत्य एवं वाजिंत्र इन सत्रह प्रकारों का निर्देश किया गया है यद्यपि इसमें वर्णित नामों के अनुसार 20 भेद होते हैं।78 संबोध प्रकरण में स्नपन, अर्चन, देवदुष्य स्थापन, वासचूर्ण आरोहण, पुष्पारोहण, पंचवर्ण कुसुम वृष्टि, पुष्पगृह, कर्पूर आदि गंध आरोहण, आभरणारोहण, इन्द्रध्वजा से चारों दिशाओं में शोभा करना, अष्टमंगल आलेखन, दीपक आदि अग्निकर्म, आरती के साथ मंगलदीपक, गीत, नृत्य, 108 स्तुतियों के द्वारा परमात्मा का गुण स्तवन ऐसे सत्रह प्रकार की पूजाएँ बताई गई हैं।79
SR No.006250
Book TitlePuja Vidhi Ke Rahasyo Ki Mulyavatta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages476
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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