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________________ 382... पूजा विधि के रहस्यों की मूल्यवत्ता - मनोविज्ञान एवं अध्यात्म... समाधान- जैन क्रिया अनुष्ठानों में सामूहिक आयोजनों का एक विशेष महत्त्व है। जिनमंदिर में भक्तामर आदि सामूहिक पाठ अनुष्ठान भक्ति का माहौल बनाते हैं अत: सामूहिक क्रियाएँ अवश्य करनी चाहिए। परंतु इसका अभिप्राय यह नहीं है कि इनका आयोजन किसी भी समय कर सकते हैं। वस्तुत: यह आयोजन एक निश्चित समय में ही करना चाहिए। जिस समय पूजा-दर्शन करने वालों की संख्या अधिक रहती है उस समय ऐसे आयोजन नहीं रखने चाहिए। इससे दर्शन करने वालों के मन में विक्षेप उत्पन्न हो सकता है। शंका- मानव सेवा, मन के शुभ परिणाम, सदाचरण आदि करना भी धर्म है तो फिर पूजा आदि करना आवश्यक क्यों? समाधान- आज के अधिकांश युवा वर्ग का मानना है कि धर्म का हेतु मन के परिणामों को सात्त्विक बनाना ही है वह तो ऐसे भी हो सकता है तो फिर मंदिर क्यों जाना? किसी अपेक्षा से उन्हें सही मानें कि धार्मिक क्रियाओं का मुख्य हेतु मन के परिणामों को सुधारना है किन्तु पूरा दिन संसार में रचे-पचे व्यक्तियों में ऐसे कितने लोग हैं जो बिना किसी आलंबन के अपने परिणामों को हर परिस्थिति में निर्मल रख सकते हैं। व्यवहार या लौकिक कथन ओघ या समुदाय की अपेक्षा किया जाता है तथा मानव को स्वभावत: बाह्य वातावरण प्रभावित करता है। दूसरा तथ्य यह है कि हमारे सामने जैसा आदर्श होता है हमारा जीवन भी वैसा ही बनता है। जीवन में हम अच्छा या सदाचारी व्यक्ति बनना चाहते हैं तो हमारे लिए परमात्मा से अधिक अच्छा इंसान कौन हो सकता है जिनके हृदय में समस्त जीव राशि के प्रति समान भाव है- Universal Love ऐसे वीतरागी परमात्मा का पूजन हमें अच्छे व्यक्ति बनने की बार-बार प्रेरणा देता है। परमात्मा की पूजा मानव को महामानव बनाने से पूर्व उसे नैतिक इंसान बनने की प्रेरणा देती है अत: पूजा आदि क्रियाएँ अवश्य रूप से करनी चाहिए। शंका- पूजा, सामायिक, मंदिर दर्शन आदि क्रियाओं में मन स्थिर नहीं रहता तो फिर उन्हें करने से क्या लाभ? समाधान- पूजा आदि आध्यात्मिक क्रियाओं का हेतु है मन को स्थिर करना। जब मन स्थिर ही हो जाएगा तो इन क्रियाओं की क्या आवश्यकता रहेगी अत: मन को स्थिर करने के लिए ही इन क्रियाओं को किया जाता है।
SR No.006250
Book TitlePuja Vidhi Ke Rahasyo Ki Mulyavatta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages476
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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