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________________ 372... पूजा विधि के रहस्यों की मूल्यवत्ता - मनोविज्ञान एवं अध्यात्म... है। यद्यपि शासन देव-देवी के गोखले मूल गभारे में भी बनाए जा सकते हैं। प्राचीन कई मन्दिरों में यह विधान देखा जाता है। इनकी आराधना भी परमात्मा के समक्ष कर सकते हैं, परंतु यह विवेक अवश्य रखें की परमात्मा को गौण करके उनकी भक्ति न करें। सर्वप्रथम परमात्मा का स्थान होना चाहिए। शंका- जिनप्रतिमा के सामने गुरुदेव को वंदन करना या नहीं ? समाधान- इस विषय में दो मत प्राप्त होते हैं। कुछ आचार्यों के अनुसार भगवान के समक्ष गुरु को वंदन नहीं करना चाहिए क्योंकि परमात्मा का स्थान गुरु से बड़ा होता है। कुछ आचार्यों का मत है कि परमात्मा के सामने भी गुरु को वंदन कर सकते हैं। नवकार मंत्र में भी पहले देव पद और फिर गुरु पद को वंदन किया गया है। सिद्धचक्रजी के यन्त्र में भी सबको एक साथ स्थान प्राप्त है अतः जिनमूर्ति के समक्ष देवमूर्ति को भी वंदन कर सकते हैं। परंतु मंदिर में यदि गुरुभगवंत दर्शन कर रहे हो तो उन्हें वंदन नहीं करना चाहिए, इससे उन्हें दर्शन करने में बाधा उत्पन्न हो सकती है तथा अन्य लोगों को भी दर्शन-पूजन आदि में विक्षेप हो सकता है। शंका- यदि गोखलों में या छोटी-छोटी देहरियों में मूर्ति की स्थापना की जा सकती हो तो गुरुमूर्ति को भगवान के समीप विराजमान कर सकते हैं ? समाधान- गुरुमूर्ति को भगवान के निकट अलग देहरी में गभारे के बाहर विराजमान कर सकते हैं। किन्तु परमात्मा एवं गुरु का Level समान नहीं होना चाहिए। गुरुमूर्ति का पबासन परमात्मा से नीचे होना चाहिए। समकक्ष स्तर पर नहीं बिठा सकते। शंका- पत्रिका, पुस्तक आदि में परमात्मा, गुरु भगवंत आदि का फोटो छपवाना चाहिए या नहीं? तथा पंचमहाव्रतधारी साधुओं के समकक्ष यति, श्रीपूज्यजी आदि के फोटो दे सकते हैं? समाधान- वर्तमान में पत्र-पत्रिका - पुस्तकों में फोटो का प्रचलन अति में बढ़ गया है। नित नए कार्यक्रम होते हैं और उनकी पत्रिकाएँ छपती है। लोगों के लिए इन सबको संभालकर रखना लगभग संभव नहीं है और न ही उनके मन में परमात्मा के प्रति अहोभाव है । आजकल तो उन्हें रद्दी में बेच दिया जाता है या जलशरण कर दिया जाता है। इन परिस्थितियों में फोटो नहीं देना ही अधिक उचित है। जहाँ तक समाचार देने या Advertisement करने की बात है तो
SR No.006250
Book TitlePuja Vidhi Ke Rahasyo Ki Mulyavatta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages476
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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