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________________ जिनपूजा की प्रामाणिकता ऐतिहासिक एवं शास्त्रीय संदर्भो में ...327 जिनप्रतिमा विषयक अनेक भ्रान्त मान्यताएँ प्रसरित हो चुकी है। उन्हीं भ्रान्तियों का निराकरण तथा जिनप्रतिमा एवं जिनपूजा विषयक जागरण लाने के लिए, जनमानस के हृदय को शंका रहित बनाने के लिए एवं परमात्मा के प्रति प्रगाढ़ श्रद्धा स्थापित करने के लिए यह अध्याय सहायक बनें तथा मानसिक शंकाओं का शास्त्रसम्मत निवारण कर सकें यही आन्तरिक प्रयत्न किया है। संदर्भ-सूची 1. जैन धर्म और जिनप्रतिमा पूजन रहस्य, पृ. 67 2. स्थानांग सूत्र, संपा. मधुकरमुनि, 3/4/512-514 3. वही, स्थान-4 4. वही, 5/2/109 5. उद्धृत, जैन धर्म और जिनप्रतिमा पूजन रहस्य, पृ. 67 6. पहाया कय बलिकम्मा। भगवतीसूत्र 7. भगवती सूत्र, चतुर्थखंड 20/9/सू. 4 8. अरिहंते वा अरिहंतचेइयाणि वा भावीअप्पणो अणगारस्स। भगवती सूत्र 9. तए णं सा दोवई रायवरकन्ना.... तेणेव उवागच्छइ । ज्ञाताधर्मकथासूत्र, 16/सूत्र 118 10. उपासकदशांगसूत्र, 1/58 11. तत्त्वज्ञान प्रवेशिका, पृ. 76 12. प्रश्नव्याकरणसूत्र, 213/132 13. तत्त्वज्ञान प्रवेशिका, पृ. 76 14. बहुलाइं अरिहंत चेइआई। औपपातिकसूत्र 15. औपपातिकसूत्र, सू. 99 16. राजप्रश्नीयसूत्र, सू. 198-19 17. उद्धृत, प्रतिमापूजन, पृ. 134 18. उद्धृत, जैन धर्म और जिनप्रतिमा पूजन रहस्य, पृ. 68 19. जीवाजीवाभिगमसूत्र, पृ. 108-410 20. जम्बुद्वीप प्रज्ञप्ति, सू. 105, 158 21. तत्त्वज्ञान प्रवेशिका, पृ. 77
SR No.006250
Book TitlePuja Vidhi Ke Rahasyo Ki Mulyavatta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages476
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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