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________________ 84... पूजा विधि के रहस्यों की मूल्यवत्ता - मनोविज्ञान एवं अध्यात्म... • पंखी कपड़े, पुढे या Aluminium की नहीं होनी चाहिए।। सोना, चाँदी या पीतल की पंखी बनवानी चाहिए। अक्षत पूजा की विधि __ • उत्तम Quality के स्वच्छ, शुद्ध एवं जीव रहित अखंड चावलों का प्रयोग परमात्मा की पूजा हेतु करना चाहिए। सामर्थ्य हो तो सोने या चाँदी के चावल बनवाकर उनसे अक्षत पूजा करनी चाहिए। • रंगीन चावल या केशर आदि से मिश्रित चावलों का प्रयोग प्रभु पूजा में नहीं करना चाहिए। • अक्षत पूजा करने हेतु सुखासन में नहीं बैठना चाहिए। उभड़क आसन में बैठकर अक्षत पूजा करनी चाहिए। • अक्षत पूजा करने के लिए एक थाली में चावल लेकर उसे दोनों हाथों से पकड़ते हुए अक्षत पूजा का दोहा बोलना चाहिए। उसके बाद शिखर मुद्रा (Thums up के समान) में चावल लेकर पहले रत्नत्रयी की तीन ढगली, फिर सिद्धशिला और फिर स्वस्तिक की ढगली बनाना चाहिए। ढगली बनाने के बाद तर्जनी अंगुली से पहले स्वस्तिक और फिर सिद्धशिला बनानी चाहिए। • संभव हो तो स्वस्तिक के स्थान पर नंद्यावर्त एवं अष्टमंगल भी बनाने चाहिए। __ • मंदिर से बाहर निकलने से पूर्व अक्षत आदि को यथास्थान डालकर पट्टे को उचित स्थान पर रखना चाहिए। नैवेद्य चढ़ाने की विधि • प्राचीन काल में नैवेद्य पूजा के दौरान सम्पूर्ण भोजन का थाल चढ़ाने की व्यवस्था थी। वर्तमान परम्परा में मिश्री, मिठाई आदि चढ़ाने को नैवेद्य पूजा कहा जाता है। • प्रचलित परम्परा के अनुसार नैवेद्य स्वस्तिक पर ही चढ़ाना चाहिए। परंतु कुछेक आचार्य सिद्धशिला पर नैवेद्य चढ़ाने की भी बात करते हैं। इसके कारण आगे स्पष्ट किए जाएंगे। • बासी मिठाई, बाजार की मिठाई, चॉकलेट, केडबरी, रेडिमेड मिठाई आदि परमात्मा को नहीं चढ़ानी चाहिए। • ताजा मिठाई नहीं हो तो मिश्री, गुड़ की डली भी चढ़ा सकते हैं। किन्तु
SR No.006250
Book TitlePuja Vidhi Ke Rahasyo Ki Mulyavatta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages476
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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