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________________ 188...प्रायश्चित्त विधि का शास्त्रीय पर्यवेक्षण • स्थूल मृषावादविरमणव्रत का भंग करने पर जघन्यत: आयंबिल, मध्यमत: उपवास एवं उत्कृष्टत: सौ उपवास का प्रायश्चित्त आता है। • स्थूल अदत्तादानविरमणव्रत का भंग करने पर जघन्यत: नीवि, मध्यमत: बेला तथा जानबूझकर दूसरों की वस्तु ग्रहण करने पर एवं अज्ञात अवस्था में दूसरों की वस्तु ग्रहण करने पर उत्कृष्टत: दस उपवास का प्रायश्चित्त आता है। • चौथे मैथुनव्रत का भंग करने पर मूल प्रायश्चित्त आता है। परस्त्री के साथ संभोग करने पर, नीचकुल की परस्त्री के साथ संभोग करने पर तथा गुप्त रूप से परस्त्री के साथ संभोग करने पर उपवास का प्रायश्चित्त आता है। • अज्ञानवश मैथुनव्रत का भंग होने पर पाँच उपवास, दस उपवास एवं जानबूझकर इस व्रत का भंग करने पर मूल प्रायश्चित्त आता है। • अज्ञानतावश स्थूल परिग्रहविरमणव्रत का अतिक्रमण होने पर उपवास का प्रायश्चित्त आता है। 3. तीन गुणव्रत सम्बन्धित दोषों के प्रायश्चित्त श्रावक जीतकल्प के अनुसार दिग्व्रतस्यातिक्रमे तु शर्वरी भोजने तथा।।20।। पातकस्य प्रशमनं विदुः प्रशमनं परम्। मांसाशने मद्यपाने ग्राह्यं पातकघातनम्।।21।। अनन्तकाये भुक्ते तु निःपापं पापनाशनम्। त्यक्तप्रत्येकभोगेषु शीतमाहुर्मनीषिणः।।22।। कर्मादानेषु सर्वेषु कृतेषु कथितं सुखम्। अनर्थदण्डेनाहारः प्रोक्ते सामायिके कृते।।23।। (आचारदिनकर भा. 2, पृ. 249) • छठे दिग्व्रत का अतिक्रमण होने पर उपवास का प्रायश्चित्त आता है। • रात्रिभोजन त्याग का अतिक्रमण होने पर बेले तप का प्रायश्चित्त आता है। • मांसाहार सेवन और मद्यपान से लगे पापों से मुक्त होने के लिए दस उपवास का प्रायश्चित्त बताया गया है। • अनन्तकाय का भक्षण करने पर उस पापक्षय के लिए उपवास का प्रायश्चित्त आता है। • परित्यक्त प्रत्येक वनस्पतिकाय का भक्षण करने पर आयंबिल का प्रायश्चित्त आता है।
SR No.006247
Book TitlePrayaschitt Vidhi Ka Shastriya Sarvekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages340
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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