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________________ 106...प्रायश्चित्त विधि का शास्त्रीय पर्यवेक्षण आलोचना संग्रह आदि कई ग्रन्थ उपलब्ध होते हैं, किन्तु प्रायश्चित्त-दान के सन्दर्भ में सर्वाङ्गीण नहीं हैं। जहाँ तक दिगम्बर साहित्य का सवाल है वहाँ भगवतीआराधना, धवलाटीका, अनगारधर्मामृत, मूलाचार, नियमसार, सर्वार्थसिद्धि आदि में आलोचना-प्रायश्चित्त का यथोचित वर्णन किया गया है। इसी के साथ छेदपिण्ड, छेदशास्त्र, प्रायश्चित्तसंग्रह आदि कुछ ग्रन्थ भी मौजूद हैं जिनमें प्रचलित परम्परानुसार प्रायश्चित्त-दान लिखा गया है। संक्षेप में कहा जा सकता है कि जैन धर्म की श्वेताम्बर और दिगम्बर दोनों परम्पराओं में प्रायश्चित्त सम्बन्धी अनेक ग्रन्थ-रचनाएँ हैं। प्रायश्चित्त दान की परम्परा आज भी दोनों जगह प्रवर्तित हैं, किन्तु परिवर्तित परिस्थितियों एवं घटती शारीरिक क्षमता आदि की दृष्टि से इसके विषय वर्णन एवं प्रायश्चित्त दान में शास्त्र सम्मत अन्तर देखा जाता है। सन्दर्भ-सूची 1. (क) स्थानांगसूत्र, संपा. मधुकरमुनि, 3/3/338-343 (ख) वही, 6/19, 8/20, 10/73 (ग) वही, 8/18, 10/72 (घ) वही, 10/71 (ङ) वही, 10/70 2. समवायांगसूत्र, संपा. मधुकरमुनि, 32/209 3. भगवतीसूत्र, अंगसुत्ताणि, 25/7/556 4. ज्ञाताधर्मकथासूत्र, अंगसुत्ताणि, 1/14/64 5. अंतकृतदशासूत्र, अंगसुत्ताणि, 3/36 6. प्रश्नव्याकरणसूत्र, अंगसुत्ताणि, 2/13 7. विपाकसूत्र, अंगसुत्ताणि, 1/2/64
SR No.006247
Book TitlePrayaschitt Vidhi Ka Shastriya Sarvekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages340
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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