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________________ आहार से सम्बन्धित बयालीस दोषों के कारण एवं परिणाम ...133 सचित्त और मिश्र की चतुर्भंगी 1. सचित्त से पिहित सचित्त देय वस्तु। 2. मिश्र से पिहित सचित्त देय वस्तु। 3. सचित्त से पिहित मिश्र देय वस्तु। 4. मिश्र से पिहित मिश्र देय वस्तु। ये चारों विकल्प अग्राह्य हैं। सचित्त और अचित्त की चतुर्भंगी 1. सचित्त से पिहित सचित्त देय वस्तु। 2. अचित्त से पिहित सचित्त देय वस्तु। 3. सचित्त से पिहित अचित्त देय वस्तु। 4. अचित्त से पिहित अचित्त देय वस्तु। इसमें प्रारम्भ के तीन विकल्प अकल्पनीय तथा चतुर्थ विकल्प में भजना है। अचित्त और मिश्र की चतुर्भंगी 1. मिश्र से पिहित मिश्र देय वस्तु। 2. अचित्त से पिहित मिश्र देय वस्तु। 3. मिश्र से पिहित अचित्त देय वस्तु। 4. अचित्त से पिहित अचित्त देय वस्तु। इस चतुर्भगी में प्रथम के तीन विकल्प अग्राह्य है और चतुर्थ विकल्प में भजना है। अचित्त पिहित की चतुर्भंगी भी इस प्रकार बनती है • भिक्षा दान का पात्र भारी और ढक्कन भारी। • भिक्षा दान का पात्र भारी और ढक्कन हल्का। • भिक्षा दान का पात्र हल्का और ढक्कन भारी। • भिक्षा दान का पात्र हल्का और ढक्कन हल्का। इस चतुर्भगी में प्रथम और तृतीय विकल्प भिक्षा के लिए अग्राह्य है, क्योंकि भारी ढक्कन उठाते हुए कदाच गिर जाए या हाथ आदि से छूट जाए तो दाता के पाँव आदि में चोट लग सकती है। इसलिए इन द्विविध भंग की अपेक्षा अचित्त पिहित भिक्षा का भी निषेध किया गया है। इसमें द्वितीय और चतुर्थ भंग वाली भिक्षा ली जा सकती है, क्योंकि दूसरे
SR No.006243
Book TitleJain Muni Ki Aahar Samhita Ka Sarvangin Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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