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________________ 36... जैन मुनि की आहार संहिता का समीक्षात्मक अध्ययन सन्दर्भ सूची 1. बृहत्कल्पभाष्य, गा. 1696 की टीका 2. श्रमणसूत्र, पृ. 218 3. अष्टकप्रकरण, 5/1 4. उत्तराध्ययनसूत्र, 8/11 5. भगवतीसूत्र (अंगसुत्ताणि), 1/9/438 6. ज्ञाताधर्मकथासूत्र, श्रुतस्कन्ध- 1, अध्ययन - 18, सू. 43 7. रयणसार, 107 8. मूलाचार, 6/481 9. वही, 6/479 10. वही, 6/480 11. विधिमार्गप्रपा - सानुवाद, पृ. 107-108 12. दशवैकालिकसूत्र, 204-205 13. ओघनिर्युक्ति, 525 14. वही, 553 15. (क) पंचाशक प्रकरण, 7/391 (ख) पंचवस्तुक, 391 16. दशाश्रुतस्कन्धसूत्र, 2/3 पृ. 8 17. मूलाचार, 5/296 18. पिण्ड : पाणिगतोऽन्यस्मै, दातुं योग्यो न युज्यते । दीयते चेन्न भोक्तव्यं, भुङ्क्ते चेच्छेदभाग् यतिः || योगसार प्राभृत, 8/64 19. उज्जु तिहिं सत्तहिं वा, धरेहिं जदि आगदं दु आचिण्णं । परदो वा तेहिं भवे, तव्विवरीदं आणाचिण्णं ॥ 20. उत्तराध्ययनसूत्र, 29/34 मूलाचार, 6/439
SR No.006243
Book TitleJain Muni Ki Aahar Samhita Ka Sarvangin Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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