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________________ श्रमण का स्वरूप एवं उसके विविध पक्ष... 21 पुनरावर्त्तन करना, कण्ठस्थ सूत्रार्थ का चिन्तन करना और धर्मोपदेश देना। 5. ध्यान-आर्त्तध्यान और रौद्रध्यान को छोड़कर धर्म- ध्यान और शुक्लध्यान में मन को एकाग्रचित करना ध्यान है। 6. व्युत्सर्ग- ममता का त्याग करना व्युत्सर्ग है। शरीर, उपधि और आहार के ममत्व का त्याग करना द्रव्य व्युत्सर्ग है तथा कषाय, संसार और कर्म का त्याग करना भाव व्युत्सर्ग है। ये आभ्यन्तर तप मोक्ष प्राप्ति के मुख्य कारण हैं और इन तपों का सेवन अन्तरात्मा ही करती है। तुलना - ऐतिहासिक दृष्टि से तप के बारह प्रकार सर्वप्रथम स्थानांगसूत्र में प्राप्त होते हैं। इसके पश्चात यह वर्णन औपपातिक, 77 उत्तराध्ययन78, प्रवचनसारोद्धार79, तत्त्वार्थसूत्र, नवतत्त्वप्रकरण' 1 आदि ग्रन्थों में परिलक्षित होता है और उनमें नाम, क्रम एवं स्वरूप की अपेक्षा लगभग समानता है। चार कषाय निग्रह कष् अर्थात कर्म या संसार की प्राप्ति, आय अर्थात वृद्धि, जिस क्रिया से संसार की वृद्धि हो उसे कषाय कहते हैं। कषाय मुख्यतः चार प्रकार के हैं- 1. क्रोध 2. मान 3. माया क्रोधादि और 4. लोभ । इन क्रोधादि भावों को मन में न आने देना कषाय निग्रह है। आधुनिक परिप्रेक्ष्य में चरण सत्तरी की प्रासंगिकता साधु जीवन में दैनिक पालन करने योग्य नियम चरण सत्तरी कहलाते हैं। यदि इस चरण सत्तरी का प्रभाव व्यक्तिगत जीवन में देखा जाए तो पंच महाव्रत के पालन के द्वारा व्यक्ति का जीवन संयममय बनता है और वह प्रवृत्तियों से निवृत्त होता है। सत्तरह प्रकार का संयम पालन करते हुए जीव-अजीव हिंसा से विरत होते हैं, समस्त कार्यों में जागरूकता बढ़ती है तथा तीनों योगों की एकाग्रता सधती है। दस प्रकार के वैयावृत्त्य करने से जीवन में सेवा, विनम्रता, लघुता आदि गुणों का विकास होता है। नववाडों का पालन करते हुए व्यक्ति की आन्तरिक सुप्त शक्तियाँ जागृत होती हैं तथा वीर्य एवं चित्तनियन्त्रण में वृद्धि होती है। रत्नत्रय की साधना के माध्यम से साधक की दृष्टि, बुद्धि एवं आचरण तीनों सम्यक बनते हैं। द्वादश तप की साधना शारीरिक सौष्ठव प्रदान करते हुए आत्मा
SR No.006242
Book TitleJain Muni Ki Aachar Samhita Ka Sarvangin Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & D000
File Size32 MB
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