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________________ स्थंडिल गमन सम्बन्धी विधि-नियम...355 जानने चाहिए। तिर्यञ्च के संलोक वाली स्थंडिल भूमि में जाने से पूर्वोक्त एक भी दोष नहीं लगता है।12 संलोक वाली स्थंडिल भूमि में लगने वाले दोष __ संलोक वाली (जहाँ से आते-जाते हुए मनुष्य दिखायी दें ऐसी) स्थंडिल भूमि में गमन करने पर कदाचित स्व-पर या उभय प्रेरित मैथुन की सम्भावना न भी हो, किन्तु लोकापवाद का अवकाश अवश्य रहता है। जैसे कुछ लोग कह सकते हैं कि जिस दिशा में युवतियाँ जाती हैं उसी दिशा में ये मनि लोग स्थंडिल के लिए जाते हैं। ऐसा लगता है कि ये किसी स्त्री को चाहते हैं अथवा संकेत किया हुआ है, अत: ये यहाँ आये हैं तथा नपुंसक मनुष्य या नारी स्वभाववश अथवा वायु विकार के कारण विकृत लिंग को देखकर भोगेच्छा से साधु को उपद्रवित कर सकते हैं। इसलिए स्त्री, पुरुष एवं नपुंसक तीनों की संलोक स्थंडिल भूमि में जाना वर्जित है।13 ___ इस प्रकार चौथे विकल्प में आपात एवं संलोक के दोष, तीसरे विकल्प में आपात के दोष तथा दूसरे विकल्प में संलोक के दोष होने से तीनों वैकल्पिक स्थंडिल अशुद्ध हैं, मात्र प्रथम विकल्प वाले दोनों स्थंडिल (आपात व संलोक) दोष रहित होने से शुद्ध है इसलिए मुनि को शुद्ध विकल्प युक्त स्थंडिल में ही गमन करना चाहिए।14 औपघातिक स्थंडिल भूमि के दोष मुनि को अनौपघातिक (हिंसा रहित) स्थंडिल भूमि में जाना चाहिए। औपघातिक (हिंसा युक्त) भूमि में जाने से तीन प्रकार के दोष लगते हैं। ___ औपघातिक स्थंडिल भूमि तीन प्रकार की कही गई है- 1. आत्मौपघातिक भूमि-उद्यान आदि आत्मोपघाती भूमि है। उद्यानादि में मलोत्सर्ग करने से उसका मालिक आदि साधु को मार सकता है। उससे स्वयं का घात भी हो सकता है। ____ 2. प्रवचनोपघातिक भूमि- विष्ठायुक्त स्थान आदि प्रवचनोपघातिक स्थंडिल भूमि कहलाती है। इस भूमि में मलोत्सर्ग करने से लोग कह सकते हैं कि 'ये साधु कितने गन्दे हैं' इस प्रकार शासन का उपघात होता है। 3. संयमोपघातिक भूमि-कोयले आदि बनाने योग्य अग्नि स्थान संयमोपघातिक स्थंडिल भूमि है। इन स्थानों पर मलोत्सर्ग करने से कोयलों का निर्माण करने वाले लोग उस स्थान को छोड़कर अन्य जीवाकुल भूमि में अग्नि
SR No.006242
Book TitleJain Muni Ki Aachar Samhita Ka Sarvangin Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & D000
File Size32 MB
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