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________________ 288...जैन मुनि की आचार संहिता का सर्वाङ्गीण अध्ययन 4. निशीथसूत्र, संपा. मधुकरमुनि, 2/46, पृ. 53 5. बृहत्कल्पभाष्य, 3527-3528 6. (क) बृहत्कल्पभाष्य, 3529-3531, 3536 की वृत्ति (ख) प्रवचनसारोद्धार, 802-803 की टीका 7. व्यवहारभाष्य, 3352-3353 8. बृहत्कल्पभाष्य, 4773-4774, 4776 9. वही, 3532-3534 10. (क) बृहत्कल्पभाष्य, 3535 (ख) प्रवचनसारोद्धार, 808 की टीका 11. निशीथसूत्र, 2/46, पृ. 53 12. प्रवचनसारोद्धार, 808 की टीका 13. बृहत्कल्पसूत्र, संपा. मधुकरमुनि, 2/14-18 14. वही, 2/19-22 15. वही, 2/23-24 16. वही, 2/25-28 17. तित्थंकर पडिकुट्ठो, आणा अण्णाय उग्गमो ण सुज्झे। अविमुत्ति अलाघवता, दुल्लभ सेज्जा य वोच्छेदो॥ बृहत्कल्पभाष्य, 3540 18. प्रवचनसारोद्धार, 807 की टीका 19. आचारचूला, मुनि सौभाग्यमल, 2/3/90 20. निशीथसूत्र, संपा. मधुकरमुनि, 2/46-47 21. बृहत्कल्पसूत्र, 2/13-28 22. बृहत्कल्पभाष्य, 3521-3525, 3532-3535 23. प्रवचनसारोद्धार, 800-808
SR No.006242
Book TitleJain Muni Ki Aachar Samhita Ka Sarvangin Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & D000
File Size32 MB
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