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________________ प्रतिलेखना एवं प्रमार्जना सम्बन्धी विधि-नियम...161 सूर्योदय के पूर्व वस्त्र आदि दस वस्तुओं की प्रतिलेखना करनी चाहिए। उग्घाड़ा पौरुषी के समय पात्र सम्बन्धी सात वस्तुओं की प्रतिलेखना करनी चाहिए तथा अपराह्न में चौदह उपकरणों की प्रतिलेखना क्रमश: इस प्रकार करनी चाहिए-1. मुखवस्त्रिका 2. चोलपट्ट 3. गोच्छग 4. चिलिमिली 5. पात्रकबंध 6. पटल (पड़ला) 7. रजस्त्राण 8. परिष्ठापनक 9. मात्रक 10. पात्र 11. रजोहरण और 12-14. वस्त्र त्रिका किस वस्त्र की प्रतिलेखना कितने बोल पूर्वक? मुखवस्त्रिका, रजोहरण, ऊनी ओघारिया, सूती ओघारिया, चोलपट्ट, ऊनी कम्बली, दो सूती चद्दर, संस्तारक और उत्तरपट्ट इन वस्त्रों की प्रतिलेखना पच्चीस बोल पूर्वक करें। साधुविधिप्रकाश के अनुसार स्थापनाचार्य सम्बन्धी कंबल खण्ड, स्थापनाचार्य जिस पर विराजमान किए जाए ऐसी तीन मुखवस्त्रिकाएँ, स्थापनाचार्य लपेटने का ऊनी वस्त्रखण्ड- इन वस्त्रों की प्रतिलेखना भी पच्चीस बोल पूर्वक की जानी चाहिये। इसी तरह काष्ठासन, पट्टा, चौकी आदि की प्रतिलेखना भी पच्चीस बोल पूर्वक करने का विधान है। • वस्त्र प्रतिलेखना के पच्चीस बोल निम्न हैं___ 1. सूत्र अर्थ साचो सद्दहूँ 2-4. सम्यक्त्व मोहनीय, मिथ्यात्व मोहनीय, 4. मिश्र मोहनीय परिहरूं 5-6. कामराग, स्नेहराग, दृष्टिराग परिहरूं 8-10. सुदेव, सुगुरु, सुधर्म आदरूं 11-13. कुदेव, कुगुरु, कुधर्म परिहरूं 14-16. ज्ञान, दर्शन, चारित्र आदरूं 17-19. ज्ञान विराधना, दर्शन विराधना, चारित्र विराधना परिहरूं 20-22. मनोगुप्ति, वचनगुप्ति, कायगुप्ति आदरूं 23-25. मनोदंड, वचनदंड, कायदंड परिहरूं। • शरीर प्रतिलेखना निम्न पच्चीस बोल पूर्वक की जाती है- 1-3. हास्य, रति, अरति परिहरूं 4-6. भय, शोक, दुगुंछा परिहरू 7-9. कृष्ण लेश्या, नील लेश्या, कापोत लेश्या परिहरूं 10-12. ऋद्धिगारव, रसगारव, सातागारव परिहरूं 13-15. मायाशल्य, निदानशल्य, मिथ्यादर्शनशल्य परिहरूं 16-17. क्रोध, मान परिहरूं 18-19. माया, लोभ परिहरूं 20-22. पृथ्वीकाय, अपकाय, तेऊकाय जयणा करूं 23-25. वायुकाय, वनस्पतिकाय, त्रसकाय रक्षा करूं। • रजोहरण की डण्डी, रजोहरण बाँधने का डोरा, कंदोरा (कंदोरा बाँधने
SR No.006242
Book TitleJain Muni Ki Aachar Samhita Ka Sarvangin Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & D000
File Size32 MB
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