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________________ x...जैन मुनि की आचार संहिता का सर्वाङ्गीण अध्ययन की आपकी मनोभावना थी जो अब साकार होने जा रही है। कई वर्षों से आप अपनी आय का नियत हिस्सा श्रुतज्ञान की समृद्धि हेतु अलग रखते हैं। बैंगलोर, जीवाणा, जालोर आदि क्षेत्रों में कंकु चौपड़ा परिवार की गिनती धर्मपरायण परिवारों में होती है। आप अपने बहन महाराज के विराट शोध कार्य को विश्वोपलब्ध करवाने हेतु एक वेबसाइट भी बना रहे हैं। जैन विधि-विधानों की इतनी विशद जानकारी पहली बार Internet पर उपलब्ध करवाने के लिए सकल जैन समाज युग-युगों तक आपका आभारी रहेगा। आप सदैव इसी तरह तन-मन एवं धन से धर्म मार्ग पर गतिशील रहें। रत्नत्रयी की भक्ति एवं आराधना करते हुए सर्वोच्च पद को प्राप्त करें। इसी भावना के साथ सज्जनमणि ग्रन्थमाला यह कहता है जैन सज्जनमणि के नाम से जिसको, चिहुं दिशि में जाना जाएगा। उस ज्ञान गंगा को घर-घर पहुँचाने का, श्रेय आपको ही जाएगा। श्रुत सेवा में अनुदान आपका, चिरस्मरणीय रह जाएगा। युगों-युगों तक जैन संघ, आपका गौरव गाएगा।।
SR No.006242
Book TitleJain Muni Ki Aachar Samhita Ka Sarvangin Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & D000
File Size32 MB
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