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________________ 272...जैन मुनि के व्रतारोपण की त्रैकालिक उपयोगिता | ग्रन्थ का नाम | लेखक/संपादक प्रकाशक 45. विनयपिटक अनु.राहुल सांस्कृत्यायन महाबोधि सभा, सारनाथ, वाराणसी 1935 भदन्त सारिपुत्त 46. विनयपिटक (विनयसंग्रह अट्ठकथा) विपश्यना विशोधन विन्यास 1998 | इगतपुरी भदन्त सारिपुत्त 47. विनयपिटक (महावग्गपालि) विपश्यना विशोधन विन्यास 1998 इगतपुरी 48. विपाक सूत्र(अंगसुत्ताणि) संपा.युवाचार्य महाप्रज्ञ | जैन विश्व भारती, लाडनूं वि.सं. 2049 49. विधिमार्गप्रपा रचित जिनप्रभसूरि 2000/ प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर 50. विधिमार्गप्रपा अनु.साध्वी सौम्यगुणा श्री श्री महावीर स्वामी जैन, 2006| (सानुवाद) देशसर पायधुनी, मुंबई 51. विशुद्धिमार्ग (भा. 1) अनु. भिक्षु धर्मरक्षित महाबोधि सभा सारनाथ, 1956 वाराणसी 52. विशेषावश्यक भाष्य (भा. 1-2) संपा.राजेन्द्र विजयजी बाइ समरथ जैन श्वे. ज्ञानोद्धार ट्रस्ट, अहमदाबाद वि.सं. 2489| | भद्रंकर प्रकाशन शाही बाग, वि.सं. अहमदाबाद, |2053 53. विशेषावश्यक भाष्य संपा. गणि वज्रसेन भाषांतर (भा.1) विजय (मल्लधारी हेमचन्द्राचार्य वृत्ति) 54. व्यवहार सूत्र संपा. मधुकरमुनि आगम प्रकाशन समिति, 1992 ब्यावर
SR No.006241
Book TitleJain Muni Ke Vrataropan Ki Traikalik Upayogita Navyayug ke Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages344
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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