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________________ मण्डली तप विधि की तात्त्विक विमर्शना... 135 शिष्य - इच्छं। शिष्य - खमा. इच्छा. संदि. भगवन्! उपयोग निमित्तं करेमि काउसग्गं, अन्नत्थसूत्र बोलकर एक नमस्कारमन्त्र का कायोत्सर्ग करें। प्रकट में पुन: नमस्कारमन्त्र बोलें। शिष्य - इच्छा. संदि. भगवन्! गुरु - लाभ। शिष्य - कहं लेसह। गुरु - जह गहियं पुव्वसाहूहिं। शिष्य - इच्छं आवस्सियाए। गुरु - जस्स जोगुत्ति। शिष्य - शय्यातर घर। गुरु - जिसका शय्यातर करना हो उस घर के मालिक का नाम बोलें। शिष्य - खमा. इच्छा. संदि. भगवन्! राइ मुहपत्ति पडिलेडं। गुरु - पडिलेहेह। शिष्य - इच्छं, मुखवस्त्रिका का प्रतिलेखन कर दो बार द्वादशावर्त वन्दन करें। शिष्य - खमा. इच्छा. संदि. भगवन्! राइयं आलोउं? गुरु -आलोएह। शिष्य - ‘इच्छं आलोएमि जो मे राइओ. सूत्र' बोलें शिष्य - सव्वस्सवि राइय दुच्चिंतिय दुब्भासिय दुचिट्ठिय इच्छा. संदि. भगवन्! गुरु - पडिक्कमेह। शिष्य - इच्छं तस्स मिच्छामि दुक्कडं। - फिर द्वादशावर्त वन्दन पूर्वक इच्छकार सुहराई, एवं अब्भुट्ठिओमिसूत्र से गुरुवन्दन करें। 6. अष्ट खमासमण विधि - इस विधि के माध्यम से दो खमासमण द्वारा सूक्ष्म क्रियाएँ जो बहुत बार होती हैं जैसे पलक झपकना, श्वास लेना आदि, जिनका पुन:-पुन: आदेश लेना असम्भव है, उन क्रियाओं को करने की अनुज्ञा ली जाती है। इसी क्रम में दो खमासमण द्वारा आसन पर बैठने का, दो खमासमण द्वारा स्वाध्याय करने का और दो खमासमण द्वारा कंबली आदि ओढ़ने का आदेश लिया जाता है। वह आदेश विधि इस प्रकार है - ___ 1. शिष्य - खमा. इच्छा. संदि. भगवन्! बहुवेलं संदिसाहुं? गुरु - संदिसावेह। शिष्य - इच्छं। 2. शिष्य - खमा. इच्छा. संदि. भगवन्! बहुवेलं करूँ? गुरु - करेह। शिष्य - इच्छं। 3. शिष्य - खमा. इच्छा. संदि. भगवन्! बेसणो संदिसाहुं ? गुरु - संदिसावेह। शिष्य - इच्छं। 4. शिष्य - खमा. इच्छा. संदि. भगवन्! बेसणो ठाउं ? गुरु-ठावेह। शिष्य - इच्छं। 5. शिष्य - खमा. इच्छा. संदि. भगवन्! सज्झाय संदिसाउं? गुरु - संदिसावेह। शिष्य - इच्छं। 6. शिष्य - खमा. इच्छा. संदि. भगवन्! सज्झाय करूं? गुरु - करेह। शिष्य -इच्छं। 7. शिष्य - खमा. इच्छा. संदि. भगवन्! पांगरणो संदिसाउं ? गुरु - संदिसावेह। शिष्य - इच्छं। 8. शिष्य - खमा. इच्छा. संदि. भगवन्! पांगरणो पडिग्गहुं ? गुरु - पडिग्गहेह। शिष्य - इच्छं।
SR No.006241
Book TitleJain Muni Ke Vrataropan Ki Traikalik Upayogita Navyayug ke Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages344
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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