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________________ नन्दिरचना विधि का मौलिक अनुसंधान... 43 होता है। तत्फलस्वरूप श्रद्धा, विनय, भक्ति आदि गुणों में वृद्धि होती है। पारिवारिक दृष्टिकोण से सोचें तो सामूहिक रूप से व्रतादि ग्रहण करने पर इर्द-गिर्द के परिवारों में ससंस्कारों का वपन होता है। उस दिन उत्सव विशेष करने पर सम्पत्ति का सदुपयोग होता है एवं भावी पीढ़ी में तद्प संस्कार निर्मित होते हैं। जैन विधियाँ अपने आपमें प्रबन्धन (Management) की अपूर्व क्रियाएँ हैं। इनके द्वारा समाज प्रबन्धन, जीवन प्रबन्धन, तनाव प्रबन्धन, वाणी प्रबन्धन, कषाय प्रबन्धन आदि किया जा सकता है। यदि नन्दी विधि के सन्दर्भ में प्रबन्धन के दृष्टिकोण से विचार करें तो इसमें सर्वप्रथम भाव प्रबन्धन प्रमुख रूप से होता है, क्योंकि व्रतादि क्रियाओं से अविशुद्ध कषाय आदि भावों का विसर्जन एवं मैत्री, करुणा, अहिंसा आदि शुभ भावों का सर्जन होता है। इससे मानसिक स्तर पर व्यक्ति स्वस्थ एवं सन्तुलित रहता है। परमात्म भक्ति, गुणानुराग आदि से जीवन सही दिशा में प्रवृत्त होता है। व्रतादि ग्रहण करने से प्रवृत्ति एवं निवृत्ति का उचित प्रबन्धन होता है। जीवन में परिग्रह, राग, आसक्ति एवं पारिवारिक बन्धनों से ऊपर उठकर व्यक्ति संयम में प्रवृत्त होता है। इसी प्रकार समाज में भी आध्यात्मिकता एवं भौतिकता के बीच सामञ्जस्य स्थापित होता है। तुलनात्मक अध्ययन जब हम नन्दीरचना विधि का तुलनात्मक अध्ययन करते हैं तो पाते हैं कि इस विधि का मूलस्वरूप आगम ग्रन्थों में उपलब्ध नहीं है। सर्वप्रथम आचार्य हरिभद्रसूरि ने इस सम्बन्ध में अपने विचार प्रस्तुत किये हैं। उसके पूर्वकाल तक इस स्वरूप को उल्लेखित करने की आवश्यकता नहीं रही होगी। तदनन्तर आचार्य जिनप्रभसूरि ने इस विषय की ओर अपना ध्यान आकृष्ट कर विधिमार्गप्रपा में 'नन्दीरचना विधि' इस नाम से स्वतन्त्र अध्याय रचा है। उक्त दोनों ग्रन्थों में विधि पाठ को लेकर प्राय: समानता है कुछ अन्तर इस प्रकार द्रष्टव्य हैं नाम की अपेक्षा- पंचाशकप्रकरण (2/12-13) में यह विधि 'दीक्षास्थल की शुद्धि' के सन्दर्भ में कही गयी है जबकि विधिमार्गप्रपाकार ने स्वतन्त्र प्रकरण
SR No.006241
Book TitleJain Muni Ke Vrataropan Ki Traikalik Upayogita Navyayug ke Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages344
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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