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________________ 466... जैन गृहस्थ के व्रतारोपण सम्बन्धी विधियों का प्रासंगिक | लेखक/संपादक संपा. पुण्यविजयजी प्राकृतग्रन्थपरिषद्, अहमदाबाद क्र. ग्रन्थ का नाम 115. महानिसीहसुयखंधं 116. मूलाचार(भा. 1-2) 117. मंगल साधना 118. योगदृष्टिसमुच्चय (भा.1) सं. पद्मसेन विजय 119. योगशास्त्र सटीका मुनि जंबूविजय | केशवसूरिजी 120. योगशास्त्र भाषांतर 121. योगदर्शन 122. रत्नसंचयप्रकरण 123. रयणसार आ. वट्टकेर, | टीकानुवादज्ञानमती माताजी संकलन- प्रमोद संघवी 126. राजप्रश्नीयसूत्र स्वामी सत्यपति परिव्राजक हर्षनिधानसूरि 124. रत्नकरण्ड श्रावकाचार टीका.पं. सदासुखजी | कासलीवाल 127. लाटीसंहिता स्याद्वादमती माताजी 125. रत्नकरण्ड श्रावकाचार स्वामी समंतभद्र आचार्य सं. मधुकरमुनि | राजमल्ल विरचित प्रकाशक भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली .... संखवी प्रकाशन, गोराकुण्ड, इंदौर | दिव्यदर्शन ट्रस्ट, धोलका | शंखेश्वरतीर्थ सरस्वती पुस्तक भंडार, अहमदाबाद दर्शनयोग महाविद्यालय, सागपुर जैनधर्मप्रचारक सभा, भावनगर भारतवर्षीय अनेकांत विद्वत् परिषद् मध्यक्षेत्रीय मुमुक्षुमंडल संघ सागर | पं. टोडरमल स्मारक ट्रस्ट, जयपुर आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर श्री मणिकचन्द दिगम्बर जैन ग्रंथमाला गिरगांव वर्ष 1994 1944 वि.सं. 2033 वि.सं. 2033 2001 1985 1998 1983 1997 1991 वि.सं. 1984
SR No.006240
Book TitleJain Gruhastha Ke Vrataropan Sambandhi Vidhi Vidhano ka Prasangik Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, C000, & C999
File Size37 MB
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