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________________ उपधान तपवहन विधि का सर्वाङ्गीण अध्ययन ...341 उपधानवाहियों के जानने योग्य कुछ महत्त्वपूर्ण बातें अब यहाँ कुछ महत्त्वपूर्ण बिन्दूओं को चर्चित किया जा रहा है, जो उपधान तप में प्रवेश करने वाले एवं उपधान तप वहन करने वाले साधक-साधिकाओं की जानकारी के लिए अत्यावश्यक हैं। पुरूषों के लिए आवश्यक उपकरण उपधान-तप में प्रवेश करने वाले श्रावकों के लिए निम्न उपकरण अनिवार्य माने गए हैं 1. ऊनी आसन- दो 2. मुखवस्त्रिका- दो 3. चरवला (गोल डंडी का)एक 4. संथारिया- एक 5. उत्तरपट्ट- पाँच 6. धोती- पाँच 7. उत्तरासंग- तीन 8. सूत का कंदोरा- तीन 9. मल-मूत्र विसर्जन के समय पहनने योग्य धोतीएक 10. कामली (ऊनी शाल)- एक 11. कंबल (रात्रि में ओढ़ने का)- एक, 12. सूती कपड़ा दो हाथ का (थाली, कटोरी, गिलास पोंछने हेतु)- एक, 13. सूती कपड़ा (नाक आदि पोंछने हेतु)- एक 14. सूती माला- एक 15. मात्रादि परठने का पात्र (प्लास्टिक आदि का प्याला)- एक 16. डंडासन (भूमि-प्रमार्जन का साधन) समुदाय के बीच में दो या तीन हो, तो चल सकता है 17. कुण्डल (रूई के फुहे)। श्राविकाओं के लिए आवश्यक उपकरण जैन परम्परा में उपधानवाही श्राविकाओं के लिए निम्नांकित उपकरण आवश्यक कहे गए हैं__ 1. ऊनी आसन-दो 2. मुखवस्त्रिका-दो 3. चरवला (चौरस डांडी का)-दो 4. साड़ी-पाँच 5. पोलका (चोली, ब्लाऊज)-पाँच 6. लहंगा (घाघरा या पेटीकोट)-सात 7. ओढ़नी-दो 8. संथारिया-एक 9. उत्तरपट्ट-एक 10. दुशाला (ऊनी शाल)-एक 11. कंबल (रात्रि में ओढ़ने हेतु)-एक 12. सूती कपड़ा (थाली , कटोरी, गिलास पोंछने हेतु)-दो 13. मल-मूत्र विसर्जन के समय पहनने योग्य वस्त्र-दो जोड़ी 14. सूती कपड़ा (नाक आदि पोंछने हेतु)-तीन 15. मल-मूत्र परठने हेतु पात्र-दो 16. दंडासन-एक 17. कुंडल-रूई के फुहे (कान में डालने हेतु)।55
SR No.006240
Book TitleJain Gruhastha Ke Vrataropan Sambandhi Vidhi Vidhano ka Prasangik Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, C000, & C999
File Size37 MB
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