SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 321
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सामायिक व्रतारोपण विधि का प्रयोगात्मक अनुसंधान ... 255 22. अहवा तमेय च्चिय सेसा, जं दंसणाइयं तिविहं । न गुणो य नाण दंसण, चरमब्भहिओ जओणत्थि ।। वही, 906 23. ‘सामाइएणं सावज्जजोगविरइं जणयई'। उत्तराध्ययनसूत्र, 29/9 24. दिवसे दिवसे लक्खं, देइ सुवण्णस्स खंडियं । एगो एगो पुण सामाइयं, करेइ न पहुप्पए तस्स ।। सम्बोधसत्तरि, गा.-24 25. तिव्वतवं तवमाणो, जं न निट्ठवइ जम्मकोडीहिं । तं समभाविअचित्ते, खवेइ कम्मं खणद्वेण ।। 26. जे केवि गया मोक्खं, जेवि य गच्छंति । जे गमिस्संति ते सव्वे, सामाइय पभावेण मुणेयव्वं ।। 27. अष्टकप्रकरण, 30/1 28. रत्नसंचयप्रकरण, गा. - 195 29. अविवेकजसोकित्ती, लाभत्थी गव्वभय नियाणत्थी । संसयरोस अविणओ, अवहु माणए दोसा भणियव्वा ।। 30. कुवयण सहसाकारे, सच्छंद संखेय कलहं च। विगहा विहासोक्सुद्धं, निरवेक्खो मुणमुणा दस दो।। सामायिकसूत्र - अमरमुनि, पृ. 57 सामायिकसूत्र - अमरमुनि, पृ. 61 31. कुआसणं चलासणं चला दिट्ठी, सावज्ज किरिया लंबणांकुसण पसारणं। आलस मोडन मल विमासणं, निद्दा वेयावच्चत्ति बारस कायदोसा ।। 32. रत्नसंचयप्रकरण, गा. - 193-197 33. सामायिक एक समाधि, पृ. 48 34. विशेषावश्यकभाष्य, गा. 3410 35. अनुयोगद्वार, 1/2/708 36. विशेषावश्यकभाष्य, 3382 37. आवश्यकनियुक्ति, 812 38. वही, 799 वही, पृ. -63
SR No.006240
Book TitleJain Gruhastha Ke Vrataropan Sambandhi Vidhi Vidhano ka Prasangik Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, C000, & C999
File Size37 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy