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________________ सामायिक व्रतारोपण विधि का प्रयोगात्मक अनुसंधान ...249 शेष सूत्रपाठ समान हैं। अचलगच्छ की सामायिक-विधि कुछ हटकर है। मूल विधि एवं तत्सम्बन्धी सूत्रों की अपेक्षा से देखा जाए तो स्थानक एवं तेरापंथ परम्परा की श्रावक सामायिक विधि मूर्तिपूजक परम्पराओं से बहुत कुछ मिलती-जुलती है। श्वेताम्बर और दिगम्बर परम्पराओं में सामायिक पाठ भिन्न-भिन्न हैं। ____श्वेताम्बर परम्परा में नमस्कारमंत्र, गुरूवन्दनसूत्र, ईर्यापथआलोचनासूत्र, कायोत्सर्गआगारसूत्र, स्तुतिसूत्र, प्रतिज्ञासूत्र, प्रणिपातसूत्र और समाप्तिसत्र- इतने पाठ सामायिक के माने गए हैं। दिगम्बर-परम्परा में पूर्वनिर्दिष्ट सामायिक विधि के साथ-साथ आचार्य अमितगतिविरचित बत्तीस श्लोकों का सामायिक-पाठ भी प्रचलित है, जिसमें मैत्री, करूणा, प्रमोद एवं माध्यस्थ भावनाओं का सुन्दर वर्णन किया गया है। यदि विधि-विधानमूलक ग्रन्थों की दृष्टि से सामायिकग्रहण एवं पारणविधि का तुलनात्मक अध्ययन किया जाए तो कुछ भिन्नताएँ इस प्रकार कही जा सकती हैं जैसे-तिलकाचार्यकृत सामाचारी में काष्ठासन और पादपोंछन का आदेश लेने के बाद ईर्यापथप्रतिक्रमण करने का निर्देश है। संभवत: यह विधि वर्तमान की किसी भी परम्परा में मौजूद नहीं है।73 । तिलकाचार्यकृत सामाचारी में स्वाध्याय के रूप में तीन नमस्कारमन्त्र बोलने का उल्लेख है, जबकि खरतरगच्छ की सामाचारी में आठ नमस्कारमन्त्र का स्वाध्याय करते हैं, किन्तु तपागच्छ आदि परम्पराएँ उक्त सामाचारीग्रन्थ का ही अनुकरण करती हैं। उनमें स्वाध्यायरूप में तीन नमस्कारमन्त्र का स्मरण किया जाता है।74 सामायिकव्रत सम्बन्धी विधि-विधानों के प्रयोजन जैन धर्म की श्वेताम्बर-परम्परा में सामायिकव्रत स्वीकार-विधि का जो क्रम है, वह सप्रयोजन एवं सोद्देश्य है। ___ जिनशासन की यह सनातन परम्परा रही है कि इसमें सभी प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान देव-गुरू-धर्म की उपासनापूर्वक प्रारम्भ किए जाते हैं। सामायिक-व्रतानुष्ठान मुख्यतः गुरू की सन्निधि एवं उनके आदेश अनुमतिपूर्वक सम्पन्न होता है। कदाचित् गुरू की साक्षात् उपस्थिति न भी हो, तो भी पुस्तकादि के माध्यम से गुरू स्थापना करते हैं। फिर सामायिकव्रत
SR No.006240
Book TitleJain Gruhastha Ke Vrataropan Sambandhi Vidhi Vidhano ka Prasangik Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, C000, & C999
File Size37 MB
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