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________________ 172...जैन गृहस्थ के सोलह संस्कारों का तुलनात्मक अध्ययन विधि के अनुसार- श्वेताम्बर एवं दिगम्बर-दोनों परम्पराओं में अर्हत्प्रतिमा की पूजा करना, मुनि भगवन्त के दर्शन करवाना, बालक को विधि पूर्वक स्नान करवाना, आभूषण पहनाना आदि कृत्य प्रायः समान ही कहे गए हैं, किन्तु स्नात्रजल को शान्ति मन्त्र से अभिमन्त्रित करना, तीर्थोदक से बालक को स्नान करवाना, मुनि, गृहस्थ गुरु एवं नाई को दान आदि देना आदि क्रियाकलाप श्वेताम्बर आम्नाय में विशेष कहे गए हैं तथा गन्धोदक द्वारा शिशु के बालों को आर्द्र करना, स्वस्तिक रचना करना आदि क्रियाएँ कही गई दिगम्बर परम्परा के ग्रन्थों में अधिक कही गई हैं। वैदिक परम्परा की चूडाकर्म संस्कार विधि जैन परम्परा से भिन्न है। उनमें गणेशपूजा, मंगल श्राद्ध, यज्ञ आहूति आदि विधानों के साथ बालक के मस्तक मुंडन की क्रिया पर विशेष ध्यान दिया गया है। केशछेदन से सम्बन्धित कई मन्त्रों के उच्चारण किए जाने का भी निर्देश किया गया है। परम्परा के अनुसार- जैन एवं वैदिक-दोनों आम्नाएँ इस संस्कार को कुल परम्परा के अनुरूप वहन करने का वर्णन करती हैं। इस दृष्टि से दोनों धाराओं में पूर्ण समानता के दर्शन होते हैं। निष्कर्षत: जैन एवं वैदिक दोनों परम्पराओं में यह संस्कार कुछ विस्तार के साथ प्रतिपादित है। अधुनापि इस संस्कार का अस्तित्व यथावत रहा हुआ है। उपसंहार सामान्यतया शिशु के मस्तकीय-बालों का प्रथम बार उच्छेदन करना अथवा मस्तक मुंडित करना चौलकर्म, चूडाकर्म या चूड़ाकरण संस्कार है। चूड़ाकरण आदि संस्कारों द्वारा बालकों में गुणाधान होता है, अर्थात् मानवोचित विशिष्ट गुणों का समावेश किया जाता है। ___'चूड़ा क्रियते अस्मिन्' इस विग्रह के अनुसार जिसमें बालक को चूड़ा अर्थात शिखा दी जाए, वह चूड़ाकरण संस्कार है। अमरकोष के अनुसार भी चूड़ा का अभिप्राय शिखा से ही है। यह संस्कार सामान्यतया जन्म के पश्चात् एक वर्ष से लेकर पाँचवें वर्ष तक की अवधि में सम्पन्न होता है, जिसे प्रकारान्तर में मुण्डन-कर्म भी कहा जा सकता है। जैन परम्परा के अनुसार इस संस्कार में बालक को शुभ आसन पर बिठाया जाता है तथा वैदिक परम्परा के मतानुसार बच्चे को माता अपनी गोद में लेकर बैठती है। उस स्थिति में नाई
SR No.006239
Book TitleJain Gruhastha Ke 16 Sanskaro Ka Tulnatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages396
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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