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________________ नवीन जीवन उपजाववामां श्रीमद् विजय पाम्या छे. साधारण रीते एवं मनाय छे के जो तेओ वधु वखत जीव्या हत तो हालना जैनधर्मनी संपूर्ण दर्शननी क्रांति करी हत अने महान महावीरे जे वास्तविक उपदेश आप्यो छे ते उपदेश लोकोने शिखाव्यो हत. जैन धर्मना अनेक गच्छभेदो काढी नांखी महावीरे स्थापेलो एक सामान्य धर्म स्थापवानो तेओनो विचार हतो. आवी उपयोगी जींदगी अपक्ष वये उपयोगमा आवती बंध पडी तेथी देशने चोक्खो गेरलाभ थयो छे. ___ तेमनुं नाम चिरंजीव राखवाने तेमना स्तुति पाठकोए आशरे रु. ११००० क्यारना संगृहीत कर्या छे. ने फंडने वधारवानी हिलचाल हजु पण चाली रही छे. अने एवी आशा रखाय छे के जूनां हस्तलिखित पुस्तकोने एकत्र करी जैनधर्मविषयक पुस्तको के जे केटलाक भंडारोमा अप्रगट दशामां पड्या छे तेने प्रगट करनारी संस्था तेमना मानवंता नाम साथे स्थापवामा आवशे. * आशा रहे छे के तेमना अनुयायीओमांना कोई श्रीमद्ना जीवनवृत्तांत अने कार्यनो सर्वगामी अने समजी शकाय तेवो अहेवाल प्रजासमक्ष रजु करशे. * परमश्रुतप्रभावकमंडले जैन धर्मना बे मख्य संप्रदाय-श्वेताम्बर अने दिगम्बरना प्राचीन शास्त्रो श्रीमद् राजचंद्रनुं नाम जोडी "राजचंद्र जैन शास्त्रमाला" ना नामथी प्रकट करवानुं शरु कयु छे, अने ते योजनानुसार नीचे प्रमाणे ग्रंथो मूळ तथा हिंदी अनुवादसहित बह र पण पडी चूक्यां छे:१ सप्तभंगीत रंगिणी. २ तत्त्वार्थाधिगम सूत्र. ३ पुरुषार्थसिद्धि उपाय. ४ पंचास्तिकाय. ५ ज्ञानार्णव. ६ स्याद्वादमंजी ७ बृहत दव्य संग्रह. ८ व्यानुयोगतर्कणा. ९ मोमहसार. १० प्रवचनसार. ११ परमात्मप्रकाश.
SR No.006234
Book TitleBalavbodh Mokshmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMansukhlal Ravjibhai Mehta
PublisherMansukhlal Ravjibhai Mehta
Publication Year1915
Total Pages188
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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