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________________ कारण कुछ भी रहा हो भारत में मूर्तिपूजा विरोधी सोच का जन्म मुगलों के भारत में आने के बाद हुआ यह ध्रुव सत्य है । क्योंकि किसी भी नई विचारधारा के जन्म में आस-पास के वातावरण का प्रभाव ही प्रमुख होता है । जब भी इस विषय पर शोध की बात चलती है कि मूर्तिपूजा का विरोध करने वाले हरदम इसी की खोज पर जोर देते है कि मूर्तिपूजा कब से शुरू हुई और क्यों हुई एवं इसके प्रमाण के लिए जिद करते हैं। अपनी आस्था के कमजोर होने के भय से जानबूझ कर इस बात की खोज करने का प्रयास नहीं करते कि इसका विरोध कब से या क्यों हुआ ? मूर्ति पूजा क्यों शुरू हुई, इसका कारण तो इस लेख में मिल जाता है लेकिन कब से शुरू हुई, यह प्रमाणित करना उतना ही मुश्किल है जितना कि व्यक्ति अपने पूर्वजों की प्रथम पीढ़ी को प्रमाणित करें। दूसरी तरफ यह तो प्रमाण उपलब्ध है कि मूर्तिपूजा का विरोध कब से शुरू हुआ व इस बात की खोज भी संभव है कि इसका विरोध क्यों हुआ ? जिसके प्रमाण उपलब्ध है जिसकी खोज संभव है, उस पर तो चर्चा नहीं की जाती और जिसके प्रमाण प्राप्त करना असंभव है, उसके लिए आग्रह किया जाता है। मात्र पूर्वाग्रह के कारण या अपनी कमजोर होती दिखाई पड़ती आस्था के कारण । मेरा विनम्र अनुरोध है कि अपने समस्त पूर्वाग्रहों से मुक्त होकर हमारे विद्वान / शोधार्थी शोध करें कि भारत में मूर्तिपूजा का विरोध कब, क्यों और कहाँ से प्रारम्भ हुआ ? निश्चित रूप से इस शोध के परिणाम से देश में इस विषय को लेकर एकमत बनेगा और भ्रम दूर होगा । 27
SR No.006232
Book TitleDravya Puja Evam Bhav Puja Ka Samanvay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherChandroday Parivar
Publication Year2016
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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