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________________ ॥अथ आह्वानादिः ।। आह्वान : ।। ॐ हाँ ही हूँहौँ : असिआउसा सिद्धपरमेष्ठिनः अत्र अवतरत अवतरत, संवौषट्। नमः सिद्धपरमेष्ठिभ्यः स्वाहा || माध्यान मुद्रामे मावान रj. स्थापन : ॐ हाँ ही हूँ ह्रौँ हः असिआउसा सिद्धपरमेष्ठिनः अत्र तिष्ठत तिष्ठत ठः ठः । नमः सिद्धपरमेष्ठिभ्यः स्वाहा || स्थापन मुद्रामे स्थापन र. सन्निधान : ।।ॐ हाँ ही हूँहौँ हः असिआउसा सिद्धपरमेष्ठिनः मम सन्निहिता भवत भवत,वषट्। नमः सिद्धपरमेष्ठिभ्यः स्वाहा | सविधान-मुद्रामे सविधान २. सन्निरोध : ।। ॐ हाँ ही हूँ ह्रौँ हः असिआउसा सिद्धपरमेष्ठिनः पूजां यावदत्रैव स्थातव्यम् । ___ नमः सिद्धपरमेष्ठिभ्यः स्वाहा | सनिरोध-मुद्रामे सनिरोध 5२पो. अवगुंठन : ।। ॐ हाँ ही हूँ ह्रौँ हुः असिआउसा सिद्धपरमेष्ठिनः परेषामद्दश्या भवत भवत, फट्। नमः सिद्धपरमेष्ठिभ्यः स्वाहा || Aj60-मुद्रामे मj61 5२j. अंजलि : ।। ॐ हाँ ही हूँ हाँ हुः असिआउसा सिद्धपरमेष्ठिनः इमां पूजां प्रतीच्छत प्रतीच्छत । नमः सिद्धपरमेठिभ्यः स्वाहा ।। पूरजमुद्रा (मलि) 0 अपए। रघु. १७
SR No.006217
Book TitlePoojan Vidhi Samput 02 Siddhachakra Mahapoojan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaheshbhai F Sheth
PublisherSiddhachakra Prakashan
Publication Year2009
Total Pages60
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size9 MB
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