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________________ आगम (०५) "भगवती'- अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्तिः ) भाग-२ शतक -, वर्ग H, अंतर्-शतक H. उद्देशक - मूलं H मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......आगमसूत्र-[०५], अंग सूत्र-[०५] "भगवती" मूलं एवं दानशेखरसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत जयत्यनेकान्तवादकण्ठीरवः । स्याद्वादसुधाम्भोनिधिर्जयति निष्ठितार्थोऽर्हन् श्री अनन्तहंसशिष्य-श्री दानशेखरसूरिकृत टीकया समलंकृतं गणभृभगवत्सुधर्मखामिसूत्रितं सूत्राक श्रीभगवतीसूत्रम्। दीप अनुक्रम मुद्रणकारिका-जैनश्वेताम्बर श्रीमालवदेशान्तर्गतश्रीरत्नपूरीय (रतलाम) श्रेष्ठि रुषभदेव केशरीमलनाम्नी संस्था। -0000000इदं पुस्तकं 'श्री जैन विजयानन्द प्रीन्टींग प्रेस' इति मुद्रणालये फकीरचन्द मगनलाल बदामी इत्यनेन मुद्रितं। वीरसंवत २४६२ . विक्रमसंवत १९९२ सन १९३५ प्रति ३००] पण्यम् रु.३-४-० [Rs. 3-4-0 जनमानसमाजजजजजजजजजजजजजामा भगवती-(अङ्ग)सूत्रस्य मूल "टाइटल पेज"
SR No.006212
Book TitleAagam 05 Bhagavati Daanshekhariyaa Vrutti Ang Sutra 5 Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2017
Total Pages305
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size87 MB
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