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आगम (४२)
“दशवैकालिक - मूलसूत्र-३ (नियुक्ति:+|भाष्य +चूर्णि:) अध्ययनं [७], उद्देशक [-], मूलं [१५...] / गाथा: [२७८-३३४/२९४-३५०], नियुक्ति: [२७१-२९३/२६९-२९२], भाष्यं [६२...]
मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता: आगमसूत्र - [४२], मूलसूत्र - [०३] “दशवैकालिक नियुक्ति: एवं जिनदासगणि-रचिता चूर्णि:
प्रत
श्रीदश
सूत्रांक [१५...]
गाथा ||२७८
वैकालिका चूर्णी.
ॐ
॥२५२॥
३३४||
थिएसु जई ताब कारणं णस्थि ततो अब्बावारी चेच साहणं, (अह पओयणं) किंचि भवइ, तं पंथं वा ण जाणइ उवदिसहा भाषाजाहे वा तेसिं पाणाणं इत्थीपुरिसविसेसे अजाणमाणो वा णो एवं वदेज्जा, जहा-एसा इत्थी अयं पुरिसोचि, पायसो य लोगो अवि
धिकारः सेसियं आलबेइ, अभिहाणेण माणियव्वं जहा गोजातियाइ चरंति कागजातिया या हरंति, एवं महिसपसुआदिवि भाणियव्वा | | आह--जति एवं तो कम्हा एगिदियविगलिंदिएमु सह णपुंसगभावे इस्थिणिदेसो पुरिसनिदेसो य दीसह, तत्थ एगिदिएम। | पुढविकाए पासाणे पुरिसणिदेसो, जा सा महिया इत्थिाणदेसो, आउकाएवि करओ पुरिसनिदेसो उस्सा इत्थीनिदेसो, अग्गिकाएवि अग्गी पुरिसणिदेसो, जाला इस्थिणिद्देसो, वाउकाएवि वाओ पुरिसनिद्देसो बाउलाए इत्थिणिदेसो, वणस्सइ-12 |काएवि पुरिसणि सो जहा णग्योहो उनिरो, इस्थिनिद्देसोऽवि जहा सिसवा आंघलिया पाडला एवमाथि, बेईदिएमु पुरिसणिदेसी टू जहा संखो संखाणओ, इस्थिणिदेसो जहा असुगा सिप्पा एवमादि,तेइंदिएसु पुरिसणिदेसो जहा मकोडा, इस्थिणिदेसो जहा उवचिका पिपीलिका एवमादि, चउििदएमु पुरिसणिदेसो जहा भमरो पतंगो इस्थिणिद्देसो जहा मधुकरी मच्छिया एवमादि,आयरिओ आह-| सइविह नपुंसगभावे जणवयसच्चेण ववहारसच्चेण य एस दोसपरिहारओ भवइत्ति, पंचिदिएमु पुण सतिवि एवमादि जणवयसच्चादीहिं तहावि जाईओ चेव वत्तब्वा, कई ?, गोवालादीणमचित्तिया भवेज्जा, जहा एते ण सुदिवधम्मा जम्हा इस्थिपुरिसविसेसमजाणाणा एगयरनिस कुब्वंति एवमादि दोसा भवंतित्तिकाऊण पंचिदियाण एगतरनिइंसे एस पडिसेहो सब्वपयत्तण कीरइत्ति, फिंच'तहेव ॥२५२।। माणुसं पक्खि पसुं ।।२९९।। सिलोगी, जहेब हिडा भणिताणि अवयणिज्जाणि वयणिज्जाणि य तहा इमाणि न भाषि-16 यच्चाणि, तत्थ मनुस्सा पक्खिणी पसिद्धा, पसुगहणेण य महिसमयएलगादीणं गहणं कर्त, सिरीसषगहणेण जयगरादाणं, एते।
CHECROCHROCCCCCCAMS
दीप अनुक्रम [२९४३५०]
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