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आगम (४२)
“दशवैकालिक- मूलसूत्र-३ (नियुक्ति:+|भाष्य +चूर्णि:) अध्ययनं [४], उद्देशक H, मूलं [१-१५] / गाथा: [३२-५९/४७-७५], नियुक्ति: [२२०-२३४/२१६-२३३], भाष्यं [५-६०] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता: आगमसूत्र - [४२], मूलसूत्र - [०३] “दशवैकालिक नियुक्ति: एवं जिनदासगणि-रचिता चूर्णि:
श्रीदशबैंकालिक
प्रत सूत्रांक [१-१५] गाथा ||३२
चूर्णी.
४ अ०
॥१४५||
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५९||
मणसा कायसा ३ अहवान करेइ करत नाणुजाणइ मणसा वयसा ४ अहवान करेह करत नाणजाणइ मणसा कायसा ५ अहवा न करे। प्रत्याकरत नाणुजाणइ वयसा कायसा ६ अहवा न कारवइ करत नाणुजाणइ मणसा वयसा अहवा न कारवेइ करत नाणुजाणइ मणसा ख्यानकायसा८न कारखेद करते नाणुजाण वयसा कायसा ९, एते नव भंगा विहं दविधेण लद्धा, इदाणिं दुबिई एकविधण, न करे| मंगाः न कारवेइ मणसा अहवा न करेइ न कारवेद वयसा अहवा न करेइ न कारवेद कायसा अहवा ण करेइ करेंत णाणुजाणइ मणसा अहवा न करेइ करत नाणुजाणइ वयसा अहवा न करेइ करेंतं नाणुजाणइ कायसा अहवा न कारखेद करतं नाणुजाणइ मणसा अहवा न कारवेइ करेंतं नाणुजाणइ वयसा अहवा न कारवेइ करेंत नाणुजाणइ कायसा, एते नव भंगा दुविहं एकविहेण लद्धा, इयाणि एकविहं तिबिहेण-ण करेइ मणसा वयसा कायसा अहवा न कारवेद मणसा वयसा कायसा अहवा करत नाणुजाणइ मणसा वयसा कायसा, एते तिष्णिवि भंगा एकविहं तिविहेण लद्धा, इयाणि एकविहं दुविधेण-न करेह मणसा वयसा अहवा न करेह वयसा कायप्ता अहवा न करेइ मणसा कायसा अहवा न कारवेद मणसा वयसा अहबा न कारवेद मणसा कायसा अहवा न कारबेइ वयसा कायसा अहवा करेंत नाणुजाणइ मणसा वयसा अहवा करेंतं नाणुजाणइ मणसा कायसा अहवा करेंतं नाणुजाणइ वयसा कायसा, एते नव भंगा एगविहं दुबिहेण लद्धा, इदाणि एकविहं एकविहेण न करेइ मणसा अहवा न करेइ वयसा|४ । अहवा न करेइ कायसा अइया न करावेइ मणसा अहवा न करावेद वयसा अहवा न करावेइ कायसा अहवा करत नाणुजाणइट। मणसा अहवा करतं नाणुजाणइ वयसा अहवा करेंत नाणुजाणइ कायसा, एते नव भंगा एक्कविहं एकविहेण लद्धा, इयाणि एते सब्वेवि एगो पिडिज्जंति, तत्थ तिविई अणुमुयंतेण सच लद्धा, तिविहेण तिणि लद्धा, एते संपिडिया जाया दस,
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दीप अनुक्रम [३२-७५]
CALCO2
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