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________________ आमुख . . . . .. "सागर नु जवैरात" मूल में गुजराती भाषा में लिखित पुस्तक संवत् 2040 के चातुर्मास में उदयपुर श्री संघ के धर्मप्रेमी बन्धूओं के पढ़ने में आई। श्री जिन शासन के तेजस्वी पूज्य श्री जवेर सागर जी महाराज के जीवन वृतान्त का सम्बन्ध मुख्यतया उदयपुर से रहा है । महाराज श्री की उदयपुर श्री संघ के प्रति उपकार की स्मृति यथावत कायम रहे इस हेतु यह निश्चय किया गया कि महाराज श्री के जीवन-चरित्र से सम्बधिन्त इस पुस्तक का हिन्दी रूपान्तर प्रकाशित किया जावे। हर्ष का विषय है कि यह हिन्दी अनुवाद इस अल्प अवधि में ही पाठकों के हाथों में प्रारहा है । आगमज्ञाता, बाद कला के प्रवीण पूज्य श्री जवेर सागर जी महाराज के इस जीवन-चरित्र से उदयपुर श्री संघ के विस्मृत काल की सहज ही स्मृति हो जाती है । हमने इस पुस्तक का आदि से अन्त तक गहन अध्ययन किया है। महाराज श्री की इस जीवन-गाथा से कई ऐतिहासिक एवं सैद्धान्तिक तथ्यों की झलकियाँ मिलती हैं । इसका संक्षिप्त विवरण देने का प्रयास किया हैं जिससे महाराज श्री का अद्भुत व्यक्तित्व, जिन शासन की रक्षा प्रभावनाएवं उपकार परायणता आदि का परिचय मिलेगा । उदयपुर
SR No.006199
Book TitleSagar Ke Javaharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaysagar
PublisherJain Shwetambar Murtipujak Sangh
Publication Year
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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