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________________ ४७ जयोदय महाकाव्य का शैलीवैज्ञानिक अनुशीलन को अपना अन्तिम उद्बोधन देकर सभी से क्षमायाचना करते हैं । फिर वे सभी से गृह त्याग की अनुमति लेते हैं और आदिनाथ भगवान् के समवशरण में पहुँचते हैं । तीर्थंकर के दर्शन कर वे रोमांचित हो जाते हैं । जयकुमार श्रद्धा से भगवान की पूजन स्तुति करते हैं और आत्म-कल्याण का मार्ग जानने हेतु निवेदन करते हैं । सप्तविंशतितम सर्ग प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव गृहस्थ और मुनि की तुलना करते हुए जयकुमार को साधु का आचार एवं धर्म का स्वरूप समझाते हैं । वह उपदेशामृत पानकर जिन-दीक्षा अंगीकार करने का दृढ़ निश्चय करता है । अष्टाविंशतितम सर्ग राजा जयकुमार समस्त परिग्रहों का त्याग कर निर्ग्रन्थ दिगम्बर मुनि बन जाते हैं। वे मुनिचर्या का पालन करते हुए ज्ञान-ध्यान में लीन रहते हैं । क्रमशः गुणस्थानों को पार कर वे केवलज्ञानी हो जाते हैं । अन्त में शाश्वत सुख (मोक्ष) प्राप्त करते हैं। भरत चक्रवर्ती की पट्टराज्ञी सुभद्रा के समझाने पर रानी सुलोचना भी ब्राह्मीआर्यिका से जिन-दीक्षा अंगीकार करती है । तप करते हुए शरीर का त्याग कर अच्युतेन्द्र नामक सोलहवें स्वर्ग में इन्द्र का जन्म धारण करती है । जयोदय का कथास्रोत जयोदय महाकाव्य के उपजीव्य ग्रन्थ निम्नलिखित हैं - आचार्य जिनसेन तथा गुणभद्राचार्य कृत आदि- पुराण भाग २, महाकवि पुष्पदन्त द्वारा विरचित महापुराण भाग २, पुण्यास्रव कथाकोश, हस्तिमल्ल कृत विक्रान्त कौरव नाटक, वादिचन्द्र भट्टारक कृत सुलोचना चरित, ब्रह्मचारी कामराज प्रणीत जयकुमार चरित तथा ब्रह्मचारी प्रभुराज विरचित जयकुमार चरित । जयोदय की कथा का आदिपुराण से अधिक साम्य है । अतः आदिपुराण ही जयोदय का कथास्रोत है । आदिपुराण में वर्णित कथानक का सारांश इस प्रकार है - ____ हस्तिनापुर के शासक सोमप्रभ थे । उनकी रानी का नाम लक्ष्मीवती था । उनके जय, विजय आदि पन्द्रह पुत्र थे । एक बार राजा सोमप्रभ संसार से विरक्त होकर अपने प्रथम पुत्र जयकुमार को राज्य सौंपते हैं और स्वयं वृषभदेव के समीप जाते हैं। एक बार जयकुमार शीलगुप्त मुनि से धर्मोपदेश सुनता है । यह उपदेश उसके साथ एक सर्प दम्पत्ति
SR No.006193
Book TitleJayoday Mahakavya Ka Shaili Vaigyanik Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAradhana Jain
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1996
Total Pages292
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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