SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 84
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 78 (19) सत्तमी य पवंचा उजं नरो दसमस्सिओ। निट्ठभइ चिकणं खेलं खासई यखणे खणे 7॥ .. (तंदुलवैचारिक, गाथा-52) (20) संकुइयवलीचम्मो संपत्तो अट्टमिं दसं। नारीणं च अणिट्ठो उ जराए परिणामिओ 8 ।। (तंदुलवैचारिक, गाथा-53) (21) नवमी मुम्मुही नामंजं नरो दसमस्सिओ। जराधरे विणस्संते जीवो वसइ अकामओ 9॥ (तंदुलवैचारिक, गाथा-54) (22) हीण-भिन्नसरो दीणो विवरीओ विचित्तओ। दुब्बलो दुक्खिओ सुयइ संपत्तो दसमिं दसं 10॥ (तंदुलवैचारिक, गाथा-55) (23) पुण्णाई खलु आउसो ! किच्चाई करणिज्जाइं पीइंकराई वनकराई धणकराई किंत्तिंकराई। नो य खलु आउसो ! एवं चिंतेयव्वं - एसिति खलु बहवे समया आवलिया खणा आणापाणू थोवा लवा मुहुत्ता दिवसा अहोरत्ता पक्खा मासा रिऊ अयणासंवच्छराजुगावाससयावाससहस्सावाससयसहस्सा, वासकोडीओ...... (तंदुलवैचारिक, सूत्र-64) (24) ते णं मणुया अणतिवरसोम-चारुरूवा भोगत्तमा भोगलक्खणधरा सुजायसव्वंगसुंदरगां रत्तुप्पल-पउमकर-चरणकोमलंगुलितना नग-णगर-मगरसागरचक्कंधरंकलक्खणंकियतला सुपइट्ठियकुम्मचारुचलणा अणु- पुव्विसुजायपीवरंगुलिया उन्नय-तणु-तंब-निद्धनहा संठिय-सुसिलिट्ठ-गूढ-गोप्फा एणीकुरुविंदावत्तवट्टाणुपुग्विजंघा सामुग्गनिमग्गगूढजाणू गयससण सुजायसन्निभोरु वरवारणमत्ततुल्लविक्कम-विलासियगई सुजायवरतुरयगुज्झदेसा आइनहउ व्व निरुवलेवा पमुइयवरतुरग-सीहअरेगवट्टियकडी साहयसोणंद-मुसलदप्पणनिगरियवरकणच्छतरुण-बोहिय' उक्कोसायंतपउमगंभीर -वियडनाभी उज्जुय
SR No.006192
Book TitlePrakrit Ke Prakirnak Sahitya Ki Bhumikaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2016
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy