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________________ 223 प्रवृत्ति नहीं करनी चाहिए। तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी एवं त्रयोदशी विघ्नरहित एवं कल्याण कारक है। (गाथा 4- 1-6) इन तिथियों का नामकरण नन्दा, भद्रा, विजया, रिक्ता, (तुच्छा) पूर्णा आदि रूपों में किया गया है। श्रमणों के लिए कहा गया है कि वह नंदा, जया एवं पूर्णा संज्ञक तिथियों में शैक्ष दीक्षित करे। नंदा एवं भ्रदा तिथियों में नवीन वस्त्र धारण करें एवं पूर्णा तिथि में अनशन करें। (गाथा 9-10 ) (2) नक्षत्र द्वार - तारों के समुदाय को नक्षत्र कहते हैं। इन तारा समूहों से आकाश में अश्व, हाथी, सर्प, हाथ आदि की आकृतियाँ बनती है। इसी आधार पर इन नक्षत्रों का नामकरण किया गया है। आकाश मंडल में ग्रहों की दूरी नक्षत्रों से ज्ञात की जाती है । ज्योतिष शास्त्रों में 27 नक्षत्र निम्न प्रकार माने गये हैं:- अश्विनी, भरणी, कृतिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पूर्णवसु, पुष्य, आष्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषज, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, रेवती । अभिजित् को 28वाँ नक्षत्र माना गया है । ' यहीं पर संध्यागत, विड्डेर, रविगत, विलम्बिन, राहुहत, सग्रह एवं ग्रहभिन्न इन सात नक्षत्रों के नाम और भी दिये गये हैं । ' 2 ग्रंथ में कहा गया है कि सन्ध्यागत नक्षत्र में विवाद, विड्डेर नक्षत्र में शत्रु विजय होता है। विगत नक्षत्र में मुक्ति की प्राप्ति होती है । पुष्प, हस्त, अभिजित, अश्विनी तथा भरणी इन नक्षत्रों में पादोपगमन अनशन करना चाहिए। शतभिषज्, पुष्य और हस्त नक्षत्र में विद्या पढ़ने में प्रवृत्त होना चाहिए। मृगशीर्ष, आर्द्रा, पुष्य, श्रवण, धनिष्ठा, पूर्णवसु, मूल, अश्लेषा, हस्त तथा चित्रा नक्षत्र ज्ञान की वृद्धि कराने वाले कहे गये हैं । पूर्णवसु, पुष्य, श्रवण, धनिष्ठा- इन चार नक्षत्रों में लोच की क्रिया करनी चाहिए परंतु कृतिका, विशाखा, मघा एवं भरणी इन चार नक्षत्रों में लोच की क्रिया करनी चाहिए परंतु कृतिका, विशाखा, मघा एवं भरणी - इन चार नक्षत्रों में लोच की क्रिया नहीं करनी चाहिए। 1. (क) भारतीय ज्योतिष - नेमिचन्द्र शास्त्री, पृ. 106 (ख) गणिविद्या गाथा 11 - 41 । 2. गणिविद्या, गाथा 15 |
SR No.006192
Book TitlePrakrit Ke Prakirnak Sahitya Ki Bhumikaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2016
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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