SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 22
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ વિભાગ-૧ महिमा (तेरे हुश्नकी क्या तारीफ करूं...) नवकार मंत्र है महामंत्र इस मंत्र की महिमा भारी है दिन रात सुबह और शाम इसे, जपती यह दुनियाँ सारी है इस मंत्र के सुमिरन से सबकी, मिटती विपदाएँ सारी है दिन रात सुबह और शाम इसे,...... (टेर) अरिहंताणं पद पहला है, विघ्नों का नाश कराता है सच्चे मन से सुमिरन कर लो, मुक्ति का पथ मिल जाता हैं ये राग द्वेष से मुक्त इन्हें, दुनियाँ कहती वीतरागी है (१) लघुता प्रभुता का भेद नहीं, निराकार निरंजन अविनाशी ये सिद्ध बुद्ध और मुक्त बनें, मेटा फेरा लख चौराशी ये अष्ट कर्म से मुक्त हुए, और सिद्धशिला के वासी हैं (२) वन्दन है आयरियाणं को जो, नायक है जिन शासन के है धर्म संघ के संचालक, और पालक है जिन शासन के है धर्म नीति के निर्वाहक, और छत्तीस गुण आचारी है (३) गणधर सम गणना है जिनकी, जो आगम ज्ञान कराते है । करते हैं सदा श्रुत आराधन, सद्ज्ञान की ज्योति जलाते है वन्दन है नमो उवज्झायाणं, जो पच्चीस गुण के धारी है (४) बहती है क्षमा करूणा रस की, अमृत धारा जिनके मन में है विषय वासना के उपरत, समता है सदा जिनके मन में है आत्म साधना में जो निरत, सत्ताईस गुण के धारी है (५) AM nिar लोए यमाहुर (नयो अरिहताण) आयरियाण) विधि नि५४ ४२di मे ५ नारनो कमलबध्द नवकार जाप જાપ નિઃસંદેહ તીર્થકર નામકર્મ ઉપાર્જન કરે છે. ૦ ૮૦૮૮૮૮૦૮ નવકાર મંત્ર ગણનાર ત્રીજે ભવે ચોક્કસ શાશ્વત મોક્ષસુખનો ભોક્તા બને છે. કમળબંધથી ૭00 નવકારનો જાપ કરનાર ભલે રોજ ભોજન કરતો હોય તો પણ નિરંતર ઉપવાસનું ફળ મેળવે છે. , “અરિહંત, સિદ્ધ” એ છ અક્ષરનો જાપ ૪૦૦ વાર અને અરિહંતના પ્રથમ અક્ષર “અ” નો નિરંતર જાપ કરવાથી પ્રાણી એક ઉપવાસનું ફળ મેળવે છે. ૦ અંતિમ સમયે નમસ્કારમંત્ર સાંભળવાથી વૈમાનિક દેવલોકમાં જવાય છે. नमो उवायाण ‘નવકાર મહામંત્ર ગણવાનું ફળ
SR No.006190
Book TitleKalapurna Sanskar Shibir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChittaprasannashreeji, Chittaranjanashreeji
PublisherKalapurna Sanskar Shibir
Publication Year2010
Total Pages298
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy