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________________ ४६ श्रीभिक्षुमहाकाव्यम् ४७. न चैकद्वयान्हीह कष्टानि किन्तु, ह्यनेकानि वर्षाणि घोराज्यशेवम् । तथाप्युन्नतो नो नतोऽमान्यसद्भिः, प्रणंणम्यते तं सदा साधुवादैः ॥ उन्होंने ऐसे महान् और घोर कष्टों को एक, दो दिन नहीं परन्तु अनेक वर्षों तक सहन किया। ऐसे सभी कष्टों का सामना करते हुए भी वे महामुनि सदा उन्नत ही रहे, कभी शिथिलाचारियों के सम्मुख नत नहीं हुए । ऐसे महान् योगीराज एवं भावितात्मा के प्रति स्तुतिपूर्वक वन्दना । श्रीनाभेयजिनेन्द्रकारमकरोद्धर्मप्रतिष्ठां पुनर् यः सत्यग्रहणाग्रही सहनयैराचार्यभिक्षुर्महान् । तत्सिद्धान्तरतेन चारुरचिते श्रीनत्यमलषणा, श्रीमद्भक्षुमुनीश्वरस्य चरिते सर्गोऽजनि द्वादशः ॥ श्रीमत्थमर्षिणा विरचिते श्रीभिक्षु महाकाव्ये विरोधजनितगुरूपसर्ग सहननामा द्वादशः सर्गः
SR No.006173
Book TitleBhikshu Mahakavyam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmalmuni, Nagrajmuni, Dulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1998
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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