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________________ चतुर्गति से आये जीवों के लक्षण 1. स्वर्ग से आया हुआ जीव-दान देने में सदा तत्पर, मधुर भाषी, सदैव प्रभु पूजा करने वाला तथा सद्गुरु सेवा कारक जीव को स्वर्ग से आया हुआ समझना चाहिये । 2. मनुष्य गति से आया हुआ जीव- विनीत, दयालु, सरल, मंदकषाय परिणामी, हर्ष वदन, मध्यम गुण वाला होता है। 3. नरक गति से आया हुआ जीव-स्वजन, मित्र, बन्धुओं से क्लेष करने वाला, रोगी शरीरवाला, अत्यन्त कपटी, कटुभाषी होता है । 4. तिर्यंच गति से आया हुआ जीवः - ईर्षालु, असंतोषी, मायावी, क्षुधातुर, निद्रासक्त, आलसी होता है। श्रावक लक्षण (भगवान महावीर के हस्तदीक्षित मुनि श्री धर्मदासजी गणी द्वारा रचित उपदेश माला के आधार से) श्लोक 230 वंदइ उभओ कालंपि, चेइयांई थय थुइ परमो, जिनवर पडिमा घर धूव - पुप्फ गंधच्चणुज्जुत्तो । अर्थात जो चैत्यों को जिन बिम्बों को द्वि त्रिकाल वन्दना करे, स्तवन स्तुति करे, जिनवर प्रतिमा और चैत्यों की धूप पुष्प और सुगन्धित द्रव्यों से पूजा करने में उद्यमवान हो, वह श्रावक कहलाता है। (श्लोक - 234) जो सदाचार और व्रत (अणुव्रतों) में दृढ़ नियम वाला, सामायिकादि 6 आवश्यक में अस्खलित (अतिचार रहित) तथा मधु, मद्य, मांस, पांच उंबर- फल, बहुबीज वाले फल, अनंत काय आदि अभक्ष्य के त्याग वाला होता है, वह श्रावक कहलाता है। भोजन जिसका नीरस, भजन उसका सरस
SR No.006167
Book TitleJain Dharm Me Prabhu Darshan Pujan Mandirki Manyata Thi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarmuni
PublisherJain S M Sangh Malwad
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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